Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

बाज़ लोग – अनामिका

बाज़ लोग By Anamika

बाज़ लोग जिनका कोई नहीं होता‚ और जो कोई नहीं होते‚ कहीं के नहीं होते– झुण्ड बना कर बैठ जाते हैं कभी–कभी बुझते अलावों के चारो तरफ । फिर अपनी बेडौल‚ खुरदुरी‚ अश्वस्त हथेलियां पसार कर वे सिर्फ आग नहीं तापते‚ आग को देते हैं आशीष कि आग जिये‚ जहां भी बची है‚ वह जीती रहे और खूब जिये! बाज़ …

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भौंचक – ओम प्रकाश बजाज

भौंचक - ओम प्रकाश बजाज

मुन्ना – मुन्नी भौंचक हो कर, ताकते ही रह जाते हैं। दादा जी अपने बचपन की, जब बातें उन्हें सुनाते हैं। घी दूध आनाज फल सब्जियां, कितने सस्ते मिलते थे। कितनी कम आय में तब, परिवार के खर्चें चलते थे। टि. वी. कंप्यूटर, मोबाइल का तो, नाम सुनने में नहीं आया था। बिग बाज़ार और मॉल नहीं थे, भीड़ भाड़ …

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नारियल – ओम प्रकाश बजाज

नारियल - ओम प्रकाश बजाज

पूजा में यह काम आता हैं, शगुन में भी दिया जाता है। कच्चे हरे नारियल का पानी, पी कर मन तृप्त हो जाता है। कच्चे नारियल की मीठी गिरी, बड़े शौंक से सब चबाते है। सूखे नारियल की गिरी से, अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं। सूखे मेवों की श्रेणी में नारियल, का भी नाम आता है। नारियल का तेल तलने-पकाने, …

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तारे – ओम प्रकाश बजाज

तारे - ओम प्रकाश बजाज

टिम – टिम टिमटिमाते तारे, जगमग-जगमग जगमगाते तारे। नीली सी चादर पर लेटे जैसे, मुस्कुराते खिलखिलाते तारे। तारों से है आकाश की शोभा, चाँद का साथ निभाते तारे। ध्रुव तारे का विशेष नाम हैं, अनेक नामों से जाते पुकारे तारे। चिंता में जिन्हे नींद न आती, रात काटते गिन-गिन तारे। सितारा तर्क भी कहलाते, हमेशा से साथ हमारे तारे। ~ …

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बागन काहे को जाओ पिया – रसखान

बागन काहे को जाओ पिया - रसखान

बागन काहे को जाओ पिया घर बैठे ही बाग लगाए दिखाऊँ एड़ी अनार–सी मौर रही बहियाँ दोउ चम्पे–सी डार नवाऊँ। छातिन मैं रस के निबुआ अरु घूँघट खोल के दाख चखाऊँ ढाँगन के रस के चसके रति फूलनि की रसखानि लुटाऊँ। अंगनि अंग मिलाइँ दोऊ रसखान रहे लिपटे तरु छाहीं संगनि संग अनंग को रंग सुरंग सनी पिय दे गलबाँहीं। …

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और काम सोचना – नीलम सिंह

और काम सोचना - नीलम सिंह

धुआँ, धूप, पानी में ऋतु की मन मानी में सूख गये पौधे तो मन को मत कोसना और काम सोचना। अधरस्ते छूट गये जो प्यारे मित्र प्याले में तिरें जब कभी उनके चित्र दरवाजा उढ़का कर हाते को पार कर नाले में कागज़ की कुछ नावें छोड़ना कुछ हिसाब जोड़ना। माथे पर हाथ धरे बैठी हो शाम लौट रहा हो …

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आशा कम विश्वास बहुत है – बलबीर सिंह ‘रंग’

आशा कम विश्वास बहुत है – बलबीर सिंह ‘रंग’

जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम‚ विश्वास बहुत है। सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है विरहातप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है‚ मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत है जानें क्यों तुमसे मिलने की आशा कम‚ विश्वास बहुत है। धन्य धन्य मेरी लघुता को‚ जिसने तुम्हें महान बनाया‚ धन्य …

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आर्य – मैथिली शरण गुप्त

आर्य - मैथिली शरण गुप्त

हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है यह पुण्य भूमि प्रसिद्घ है, …

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अरसे के बाद – राजीव कृष्ण सक्सेना

अरसे के बाद - राजीव कृष्ण सक्सेना

अरसे के बाद गगन घनदल से युक्त हुआ अरसे के बाद पवन फिर से उन्मुक्त हुआ अरसे के बाद घटा जम कर‚ खुल कर बरसी सोंधा–सोंधा सा मन धरती का तृप्त हुआ दूर हुए नभ पर लहराते कलुषित साए भूली मुस्कानों ने फिर से पर फैलाए बरसों से बन बन भटके विस्मृत पाहुन से बीते दिन लौट आज वापस घर …

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अपनी इज्जत न दाँव पर रखिये – राजीव कृष्ण सक्सेना

अपनी इज्जत न दाँव पर रखिये - राजीव कृष्ण सक्सेना

अपनी इज्जत न दाँव पर रखिये वरना नीलाम सरे–आम करी जाएगी जो जमा–पूँजी कमाई थी सभी जीवन में एक ही चूक से मिट्टी में बदल जाएगी जिनको ख़लती ही रही आपकी औकात सदा वही औकात की बोली लगाने आएंगे और औकात को बेख़ौफ जमीं पर रख कर ठाहकों संग फ़कत ठोकरें लगाएंगे जो अभी तक लगाए बैठे थे चेहरों पे …

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