Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

अहिंसा – भारत भूषण अग्रवाल

अहिंसा - भारत भूषण अग्रवाल

खाना खा कर कमरे में बिस्तर पर लेटा सोच रहा था मैं मन ही मन : ‘हिटलर बेटा’ बड़ा मूर्ख है‚ जो लड़ता है तुच्छ क्षुद्र–मिट्टी के कारण क्षणभंगुर ही तो है रे! यह सब वैभव धन। अन्त लगेगा हाथ न कुछ दो दिन का मेला। लिखूं एक खत‚ हो जा गांधी जी का चेला वे तुझ को बतलाएंगे आत्मा …

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आज्ञा – राजीव कृष्ण सक्सेना

आज्ञा - राजीव कृष्ण सक्सेना

प्रज्वलित किया जब मुझे कार्य समझाया पथिकों को राह दिखाने को दी काया मैंनें उत्तरदाइत्व सहज ही माना जो कार्य मुझे सौंपा था उसे निभाना जुट गया पूर्ण उत्साह हृदय में भर के इस घोर कर्म को नित्य निरंतर करते जो पथिक निकल इस ओर चले आते थे मेरी किरणों से शक्ति नई पाते थे मेरी ऊष्मा उत्साह नया भरती …

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जिन-दर्शन – सौरभ जैन ‘सुमन’

जिन-दर्शन - सौरभ जैन 'सुमन'

नर से नारायण बनने की जिनमे इच्छा होती है। हर क्षण उनके जीवन में एक नई परीक्षा होती है॥ ऐसे वैसे जीव नही जो दुनिया से तर जाते हैं। जग में रहके जग से जीते नाम अमर कर जाते हैं॥ खुश किस्मत हूँ जैन धरम में जनम मिला। खुश किस्मत हूँ महावीर का मनन मिला॥ मनन मिला है चोबीसों भगवानो …

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पुराना इतवार

Old Sunday

आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर पुराना इतवार मिला है… जाने क्या ढूँढने खोला था उन बंद दरवाजों को, अरसा बीत गया सुने, उन धुंधली आवाजों को, यादों के सूखे बागों में, जैसे एक गुलाब खिला है। आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर, पुराना इतवार मिला है… एक भूरे रंग की पुरानी कॉपी, नीली लकीरों वाली, कुछ बहे …

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अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन

अग्निपथ - हरिवंश राय बच्चन

वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छांह भी मांग मत, मांग मत, मांग मत, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु, स्वेद, रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ, अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ। …

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अगर पेड़ भी चलते होते – दिविक रमेश

अगर पेड़ भी चलते होते - दिविक रमेश

अगर पेड भी चलते होते कितने मजे हमारे होते बांध तने में उसके रस्सी चाहे जहाँ कहीं ले जाते जहाँ कहीं भी धूप सताती उसके नीचे झट सुस्ताते जहाँ कहीं वर्षा हो जाती उसके नीचे हम छिप जाते लगती भूख यदि अचानक तोड मधुर फल उसके खाते आती कीचड-बाढ क़हीं तो झट उसके उपर चढ ज़ाते अगर पेड भी चलते …

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अगर डोला कभी इस राह से गुजरे – धर्मवीर भारती

अगर डोला कभी इस राह से गुजरे - धर्मवीर भारती

अगर डोला कभी इस राह से गुजरे कुवेला, यहां अम्बवा तरे रुक एक पल विश्राम लेना, मिलो जब गांव भर से बात कहना, बात सुनना भूल कर मेरा न हरगिज नाम लेना। अगर कोई सखी कुछ जिक्र मेरा छेड़ बैठे, हंसी मे टाल देना बात, आंसू थाम लेना। शाम बीते, दूर जब भटकी हुई गायें रंभाएं नींद में खो जाए …

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अधूरी याद – राकेश खण्डेलवाल

अधूरी याद - राकेश खण्डेलवाल

चरखे का तकुआ और पूनी बरगद के नीचे की धूनी पत्तल, कुल्हड़ और सकोरा तेली का बजमारा छोरा पनघट, पायल और पनिहारी तुलसी का चौरा, फुलवारी पिछवाड़े का चाक, कुम्हारी छोटे लल्लू की महतारी ढोल नगाड़े, बजता तासा महका महका इक जनवासा धिन तिन करघा और जुलाहा जंगल को जाता चरवाहा रहट, खेत, चूल्हा और अंगा फसल कटे का वह …

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अच्छा तो हम चलते हैं – आनंद बक्षी

अच्छा तो हम चलते हैं - आनंद बक्षी

अच्छा तो हम चलते हैं फिर कब मिलोगे? जब तुम कहोगे जुम्मे रात को हाँ हाँ आधी रात को कहाँ? वहीं जहाँ कोई आता-जाता नहीं अच्छा तो हम चलते हैं… किसी ने देखा तो नहीं तुम्हें आते नहीं मैं आयी हूँ छुपके छुपाके देर कर दी बड़ी, ज़रा देखो तो घड़ी उफ़्फ़ ओ, मेरी तो घड़ी बन्द है तेरी ये …

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अच्छा नहीं लगता – संतोष यादव ‘अर्श’

अच्छा नहीं लगता - संतोष यादव ‘अर्श’

ये उड़ती रेत का सूखा समाँ अच्छा नहीं लगता मुझे मेरे खुदा अब ये जहाँ अच्छा नहीं लगता। बहुत खुश था तेरे घर पे‚ बहुत दिन बाद आया था वहाँ से आ गया हूँ तो यहाँ अच्छा नहीं लगता। वो रो–रो के ये कहता है मुहल्ले भर के लोगों से यहाँ से तू गया है तो यहाँ अच्छा नहीं लगता। …

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