होंगे कामयाब होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। होगी शांति चारो ओर होगी शांति चारो ओर होगी शांति चारो ओर… एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी …
Read More »ट्रांसफर
पापा का ट्रांसफर हो जाये तो नई जगह पर जाना पड़ता है, नए स्कूल में नए साथियो से परिचय बढ़ाना पड़ता है! पुराने स्थान पुराने साथियों की यादो को मन से हटाना पड़ता है कई अंकल ट्रांसफर होने पर भी परिवार को साथ नहीं ले जाते हैं, ऐसे हमारे सहपाठी वहीं रह कर परिवर्तन की पीड़ा से बच जाते है! …
Read More »इब्नबतूता बगल में जूता – गुलजार
इब्नबतूता बगल में जूता पहने तो करता है जुर्म उड़ उड़ आवे, दाना चुगे उड़ जावे चिड़िया फुर्र अगले मोड़ पर मौत खड़ी है अरे मरने की भी क्या जल्दी है हार्न बजा कर आ बगिया में दुर्घटना से देर भली है दोनों तरफ से बजती है यह आए हाए जिंदगी क्या ढोलक है हार्न बजा कर आ बगिया में …
Read More »अलविदा अब्दुल कलाम
बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष फिर कभी नहीं उठने के लिए वृक्ष जो रत्न था वृक्ष जो शक्तिपुंज था वृक्ष जो न बोले तो भी खिलखिलाहट बिखेरता था चीर देता था हर सन्नाटे का सीना सियासत से कोसों दूर अन्वेषण के अनंत नशे में चूर वृक्ष अब नहीं उठेगा कभी अंकुरित होंगे उसके सपने फिर …
Read More »क्यों पैदा किया था? – हरिवंश राय बच्चन
जिंदगी और जमाने की कशमकश से घबराकर मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यों किया था? और मेरे पास इसके सिवाय कोई जवाब नहीं है कि मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे मुझे क्यों पैदा किया था? और मेरे बाप को उनके बाप ने बिना पूछे उन्हें और उनके बाबा को बिना पूछे उनके बाप ने उन्हें क्यों …
Read More »जी नही चाहता कि, नेट बंद करू
जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! अच्छी चलती दूकान का, गेट बंद करू! हर पल छोटे – बड़े, प्यारे-प्यारे मैसेज, आते है! कोई हंसाते है, कोई रूलाते है! रोजाना हजारों, मैसेज की भीड़ में, कभी-कभी अच्छे, मैसेज भी छूट जाते है! मन नही मानता कि , दोस्तो पर कमेंट बंद करू! जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! प्रात: …
Read More »कौन यहाँ आया था – दुष्यंत कुमार
कौन यहाँ आया था कौन दिया बाल गया सूनी घर-देहरी में ज्योति-सी उजाल गया। पूजा की बेदी पर गंगाजल भरा कलश रक्खा था, पर झुक कर कोई कौतुहलवश बच्चों की तरह हाथ डाल कर खंगाल गया। आँखों में तिरा आया सारा आकाश सहज नए रंग रँगा थका- हारा आकाश सहज पूरा अस्तित्व एक गेंद-सा उछाल गया। अधरों में राग, आग …
Read More »भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर
बरसों के बाद कभी हम तुम यदि मिलें कहीं देखें कुछ परिचित से लेकिन पहचाने ना याद भी न आये नाम रंग, रूप, नाम, धाम सोचें यह संभव है पर, मन से माने ना हो न याद, एक बार आया तूफान, ज्वार बन्द मिटे पृष्ठों को पढ़ने की ठानें ना बातें जो साथ हुईं बातें जो साथ गईं आँखें जो …
Read More »मानसून – ओम प्रकाश बजाज
मानसून की वर्षा आई, लू-लपट से मिली रिहाई! बच्चे-बूढ़े पुरुष महिलाएं, हर चेहरे पर रौनक आई! प्रतीक्षा करती हर आँख में, इसके आने की ख़ुशी समाई! कभी रिमझिम, कभी झमाझम, वर्षा का क्रम बना हुआ है! आसमान से पानी के रूप में, जैसे अमृत बरस रहा है! धरती और धरती वालों की, प्यास बुझाने में जुटा हुआ है!
Read More »साथ – साथ – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
तुम सामने होती हो तो शब्द रुक जाते हैं तुम औझल होती हो तो वही शब्द प्रवाह बन जाते हैं तुम बोलती हो तो प्रश्न उठते हैं कि क्या बोलूं तुम बोलते हुए रूक जाती हो तो अनसुलझे सवाल मेरी उलझन में समा जाते हैं तुम चहकती हो तो पूनमी रात का चाँद धवल चांदनी सा फ़ैल जाता है तुम …
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