तेज़ी से ऊपर उठती पतंग मानो जैसे आकाश को चीर आज उसकी थाह लेकर रहेगी आज, वो सब कुछ पाकर रहेगी जिसकी उसे तमन्ना थी। हवा भी उसकी मृग-तृष्णा के वेग को पुरजोर रूप से बढ़ा रही थी आज हवा ही उसकी परम मित्र थी जिसकी सहायता से वो शीघ्र अति शीघ्र अपनी मंज़िल पा लेगी। पर एक चीज़ उसके …
Read More »दमा दम मस्त कलंदर – रुना लैला
ओह हो, ओह हो हो ओ लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन – २ सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दम दम दे अंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर ओ लाल मेरी, ओ लाल मेरी चार चराग तेरे बलां हमेशा – ३ पंजवा में बलां आई आन बला झूले लालन …
Read More »चतुर चित्रकार – रामनरेश त्रिपाठी
चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र। इतने ही में वहां आ गया यम राजा का मित्र॥ उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश। नदी पहाड़ पेड़ फिर उसको कुछ हिम्मत आई देख उसे चुपचाप। बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप॥ उकरू मुकरू बैठ गया वह सारे अंग बटोर। बड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की …
Read More »चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है – साहिर लुधियानवी
चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है। नींद की गोद में जहां चुप है॥ दूर वादी पे दूधिया बादल, झुक के पर्वत को प्यार करते हैं। दिल में नाकाम हसरतें लेकर, हम तेरा इन्तज़ार करते हैं॥ इन बहारों के साये में आ जा, फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे। ज़िन्दगी तेरे नामुरादों पर, कल तलक मेहरबां रहे न रहे॥ रोज की …
Read More »पति पत्नी की नोकझोंक
पत्नी मायके जाती है और मैसेज भेजती है: “मेरी मोहब्ब्त को अपने दिल में ढूंढ लेना; और हाँ, आटे को अच्छी तरह गूँथ लेना! मिल जाए अगर प्यार तो खोना नहीं; प्याज़ काटते वक्त बिलकुल रोना नहीं! मुझसे रूठ जाने का बहाना अच्छा है; थोड़ी देर और पकाओ आलू अभी कच्चा है! मिलकर फिर खुशियों को बाँटना है; टमाटर जरा …
Read More »चक्कर पे चक्कर – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
आओ एक बनाएं चक्कर फिर उस चक्कर में इक चक्कर फिर उस चक्कर में इक चक्कर फिर उस चक्कर में इक चक्कर और बनाते जाएं जब तक ऊब न जाएं थक कर। फिर सबसे छोटे चक्कर में म्याऊं एक बिठाएं और बाहरी एक चक्कर में चूहों को दौड़ाएं। दौड़-दौड़ कर सभी थकें हम बैठे मारें मक्कर, नींद लगे हम सो …
Read More »बिस्कुट का पेड़
मेरी प्यारी अच्छी नानी, सुनाओ ऐसी एक कहानी। जिसमें हो बिस्कुट का पेड़ हो चॉकलेट टॉफ़ी का ढेर। पापा जब दफ्तर से आएं, खूब खिलौने संग में लाएं। मेरी प्यारी अच्छी नानी, हमें सुनाओ एक कहानी।
Read More »बिल्ली रानी – जितेंद्र कुमार ‘वैद’
कितनी प्यारी, कितनी न्यारी, बिल्ली रानी है अनूठी, चुपके से अंदर यूँ घूस जाती, पता चलने न देती। पैर भी उनके बजते नहीं, दूध खीर पी जाती, कुछ न छोड़ती, सारा चाट कर जाती। मौक़ा मिलते ही बिल्ली रानी अपना पेट भर लेती, घर वाले देखते रह जाते, बिल्ली रानी अपना काम कर लेती, फिर भी सबको प्यारी लगती बिल्ली …
Read More »बन्दर मामा – मनीष पाण्डेय
एक पेड़ पर नदी किनारे, बन्दर मामा रहते थे। वर्षा गर्मी सर्दी उसी पेड़ पर रहते थे। भूख मिटाने को बगिया से चुन चुन फल खाया करते। य़ा छीन झपट बच्चों से ये चीजें ले आया करते। खा पी सेठ हुए मामा जी, झूम झूम इठलाते थे। और नदी के मगर मौसिया देख देख ललचाते थे। सोचा करते अगर कहीं …
Read More »बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी
बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी, कहो कहाँ से आई हो? कितने चूहे मारे तुमने, कितने खा का आई हो? क्या बताऊँ लोमड़ भाई, आज नहीं कुछ पेट भरा। एक ही चूहा पाया मैंने, वह भी बिलकुल सड़ा हुआ।
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