भगवान शिव का एकमात्र मंदिर जहां त्रिलोकीनाथ के मस्तक पर महात्मा बुद्ध विराजित हैं। हिंदू संप्रदाय के अनुयायी त्रिलोकीनाथ को शिव और बौद्ध संप्रदाय के अनुयायी अवलोकितेश्वर के नाम से पूजन करते हैं। हिंदुओं के इस भक्ति केंद्र को शैव पीठ भी कहा जाता है। मंदिर शिखर शैली का है, जो पत्थरों से बना है। समीप ही सीढ़ियां उतरकर बौद्ध …
Read More »श्राई कोटि माता मंदिर, रामपुर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल में एक ऐसा मंदिर है यहां दंपत्ति एक साथ दर्शन नहीं कर सकते। अगर वह एक साथ दर्शन करते है तो उन्हें सजा भुगतनी पड़ती है। जानकारी मुताबिक शिमला के रामपुर में समुद्र तल से 11000 फुट की ऊंचाई पर मां दुर्गा का एक स्वरुप विराजमान है जो कि श्राई कोटि माता के नाम से बहुत प्रसिद्ध है। दरअसल इस …
Read More »नारद कुंड, डडीसरी, मांट तहसील, मथुरा, उत्तर प्रदेश
जिस नारद कुंड पर नारदजी ने निवास किया वहां डुबकी लगाने से इच्छा पूरी हो जाती है। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग का प्रमुख धार्मिक स्थल नारद कुंड। मांट तहसील से करीब 25 किलो मीटर डडीसरी स्थित कुंड देव ऋषि नारद जी की तपस्या का साक्षी रहा है। यहां प्रगट हुए भगवान भोले बाबा भी आस्था के केंद्र बने हुए …
Read More »गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
भगवान गुरु गोरक्षनाथ धुनि रमाने वाले महायोगी हैं। अनेकों कहानियां उनसे सम्पूर्ण भारत में जुडी हुई हैं। एक समय की बात है भगवान गुरु गोरक्षनाथ नर-नारायण पर्वत की ओर अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे। रास्ते में माता का प्रख्यात शक्ति पीठ पड़ गया। माता ने भगवान गुरु गोरक्षनाथ जी को आता देख उनका रास्ता रोक लिया और उनसे …
Read More »महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
वास्तुशास्त्र और फेंगशुई में पहाड़ या ऊंची-नीची जगह पर भवन बनाने के स्थान को लेकर थोड़ा विरोधाभास है। फेंगशुई का एक सिद्धान्त है कि, यदि पहाड़ के मध्य में कोई भवन बना हो, जिसके पीछे पहाड़ की ऊंचाई हो, आगे की तरफ पहाड़ की ढलान हो और ढलान के बाद पानी का झरना, तालाब, नदी, समुद्र इत्यादि हो, ऐसा भवन …
Read More »बाबा बाल जी महाराज, ऊना, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के पंजाब सीमावर्ती क्षेत्र से सटा हुआ ऊना एक ऐतिहासिक जिला है जहां अनेक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। जिला मुख्यालय से मात्र दो कि.मी. की दूरी पर स्थित गांव कोटला कलां में स्थापित श्री राधा कृष्ण मंदिर आश्रम में राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी के सान्निध्य में हर वर्ष फरवरी में एक विशाल धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया …
Read More »मणिकर्ण, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
शिव की तपोस्थली मणिकर्ण – कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) में श्री गुरु नानक देव जी का भी आना हुआ था। वह दुखियों के दर्द मोह माया में फंसे माया प्राप्ति के चक्र में फंसे संसारियों को प्रभु सिमरण का संदेश देते हुए इस देवभूमि में आए, उन्हीं की इस यात्रा को समर्पित यहां ऐतिहासिक गुरुद्वारा का निर्माण सच्चखंड वासी संत बाबा …
Read More »पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू, नेपाल और भूकंप
यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल में सूचीबद्ध नेपाल की राजधानी काठमांडू मे बागमती नदी के तट पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर सनातनधर्म के आठ सर्वाधिक पवित्र स्थलों में से एक है। पौराणिक काल मे काठमांडू का नाम कांतिपुर था। मान्यतानुसार मंदिर का ढांचा प्रकृतिक आपदाओं से कई बार नष्ट हुआ है। परंतु इसका गर्भगृह पौराणिक काल से अबतक संपूर्ण रूप से …
Read More »बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा, शाजापुर, मध्यप्रदेश
विश्व के सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में माता बगलामुखी जयंती समारोह को धूमधाम से मनाएंगे। यह स्थान (मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में स्वयंभू प्रतिमा शमशान क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है की इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में …
Read More »यूला कंडा, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश
किन्नौर: जनजातीय क्षेत्र जिला किन्नौर में समुद्र तल से लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यूला कंडा में बनी प्राकृतिक झील के मध्य में विद्यमान भगवान श्री कृष्ण का मंदिर क्षेत्र वासियों के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यूला कंडा एन. एच. पर चोलिंग नामक स्थान से लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर है तथा वहां पहुंचने …
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