वास्तुशास्त्र और फेंगशुई में पहाड़ या ऊंची-नीची जगह पर भवन बनाने के स्थान को लेकर थोड़ा विरोधाभास है। फेंगशुई का एक सिद्धान्त है कि, यदि पहाड़ के मध्य में कोई भवन बना हो, जिसके पीछे पहाड़ की ऊंचाई हो, आगे की तरफ पहाड़ की ढलान हो और ढलान के बाद पानी का झरना, तालाब, नदी, समुद्र इत्यादि हो, ऐसा भवन …
Read More »बाबा बाल जी महाराज, ऊना, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के पंजाब सीमावर्ती क्षेत्र से सटा हुआ ऊना एक ऐतिहासिक जिला है जहां अनेक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। जिला मुख्यालय से मात्र दो कि.मी. की दूरी पर स्थित गांव कोटला कलां में स्थापित श्री राधा कृष्ण मंदिर आश्रम में राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी के सान्निध्य में हर वर्ष फरवरी में एक विशाल धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया …
Read More »मणिकर्ण, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
शिव की तपोस्थली मणिकर्ण – कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) में श्री गुरु नानक देव जी का भी आना हुआ था। वह दुखियों के दर्द मोह माया में फंसे माया प्राप्ति के चक्र में फंसे संसारियों को प्रभु सिमरण का संदेश देते हुए इस देवभूमि में आए, उन्हीं की इस यात्रा को समर्पित यहां ऐतिहासिक गुरुद्वारा का निर्माण सच्चखंड वासी संत बाबा …
Read More »पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू, नेपाल और भूकंप
यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल में सूचीबद्ध नेपाल की राजधानी काठमांडू मे बागमती नदी के तट पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर सनातनधर्म के आठ सर्वाधिक पवित्र स्थलों में से एक है। पौराणिक काल मे काठमांडू का नाम कांतिपुर था। मान्यतानुसार मंदिर का ढांचा प्रकृतिक आपदाओं से कई बार नष्ट हुआ है। परंतु इसका गर्भगृह पौराणिक काल से अबतक संपूर्ण रूप से …
Read More »बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा, शाजापुर, मध्यप्रदेश
विश्व के सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में माता बगलामुखी जयंती समारोह को धूमधाम से मनाएंगे। यह स्थान (मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में स्वयंभू प्रतिमा शमशान क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है की इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में …
Read More »यूला कंडा, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश
किन्नौर: जनजातीय क्षेत्र जिला किन्नौर में समुद्र तल से लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यूला कंडा में बनी प्राकृतिक झील के मध्य में विद्यमान भगवान श्री कृष्ण का मंदिर क्षेत्र वासियों के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यूला कंडा एन. एच. पर चोलिंग नामक स्थान से लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर है तथा वहां पहुंचने …
Read More »प्राचीन भगवान बलभद्र मंदिर, धौलरा गावं, रादौर, हरियाणा
रादौर के गावं धौलरा में स्थित प्राचीन भगवान बलभद्र के मंदिर के प्रति हरियाणा ही नहीं बल्कि अन्य पड़ोसी राज्यों के लोगो की भी गहरी आस्था है। इस मंदिर की मान्यता है की निसंतान लोग अगर यहां सच्चे दिल से मन्नत मांगते हैं तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है। मंदिर के इतिहास के बारे में एक श्रद्धालु ने बताया की …
Read More »कालीनाथ महादेव, कालेश्वर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश
प्राचीन कालीनाथ महादेव देहरा उपमंडल के कालेश्वर में ब्यास नदी के तट पर स्थित है। शक्तिपीठ ज्वालामुखी से यह बारह किलोमीटर दूर है। मंदिर के साथ बहती ब्यास नदी में पूर्णिमा, अमावस्या एवं ग्रहण पर श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं लेकिन बैसाख महीने की सक्रांति पर यहां दान, पूजा और स्नान का अत्यधिक महत्व है। कालीनाथ मंदिर उस समय …
Read More »मच्छयाल, जोगेंद्रनगर, हिमाचल प्रदेश
यहां है विष्णु भगवान का मत्स्य अवतार। सदियों पुरानी आस्था का प्रतीक है मच्छयाल का तीर्थ। यह आस्था आज भी दृढ़ विश्वास का प्रतीक है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर शीश नवाते हैं। मत्स्य अवतार मानकर यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बैशाखी पर यहां तीन दिन मेला भी लगता है। मान्यता के तौर पर लोग पूजनीय मछली को …
Read More »मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, दौसा, राजस्थान
जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर मेंहदीपुर कस्बे में बालाजी का एक अतिप्रसिद्ध तथा प्रख्यात मन्दिर है जिसे श्री मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर के नाम से जाना जाता है। जहां बालाजी उत्तरमुखी होकर विराजमान हैं। भूत-प्रेतादि ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहां आने वालों का वर्षभर तांता लगा रहता है। लोगों में ऐसा विश्वास है कि तंत्र-मंत्र, ऊपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति …
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