सृष्टि के आदि में जब केवल अंधकार ही था, न दिन था न रात्रि, न सत् (कारण) था और न असत् (कार्य) था, तब केवल एक निर्विकार शिव ही विद्यमान थे। भगवान शिव कुबेर के अधिपति और पल में प्रसन्न होने वाले देवता हैं, केवल देवता ही नहीं अपितु देवताओं के भी देवता महादेव हैं।सर्व प्रकार के दुख शोकादि हरने …
Read More »भीष्म पितामह की मृत्यु
हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ महाभारत जो स्मृति वर्ग में आता है। प्राचीन महाभारत काल की बात है जब महाभारत के युद्ध में जो कुरुक्षेत्र के मैंदान में हुआ, जिसमें अठारह अक्षौहणी सेना मारी गई, इस युद्ध के समापन और सभी मृतकों को तिलांज्जलि देने के बाद पांडवों सहित भगवान श्री कृष्ण पितामह भीष्म से आशीर्वाद लेकर हस्तिनापुर को …
Read More »पद्मिनी एकादशी व्रत
भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं की एकादशी व्रत का पालन करने से मनुष्य काल के हाथों से मुक्त होकर, जन्म-मरण से छूटकर, भगवद-धाम वैकुण्ठ की प्राप्ति कर सकता है एवं अनन्त सुख प्राप्त कर सकता है। पद्मिनी एकादशी का व्रत 28 जून 2015 को है। पुरुषोत्तम महीने में जिसे लोग अधिक मास अथवा मल मास के नाम से भी पुकारते हैं …
Read More »रोजेदार करें हर बुराई से परहेज
रोजेदार की अपनी भूख-प्यास जहां उसमें ईशपरायणता, आत्मनियंत्रण, अल्लाह के आज्ञा-पालन और धैर्य के गुण पैदा करने का जरिया बनती है वहीं रोजोदार को इंसानों पर भूख-प्यास और दुख-दर्द में जो कुछ बीतती है उसका आस्वादन भी कराती है। इस निजी अनुभव से उसके भीतर सहानुभूति की जीवंत भावना पैदा हो जाती है। यद्यपि रमजान के महीने में रोजे रखना …
Read More »गौमूत्र और उसके फायदे
सनातन धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि के देवी-देवता निवास करते हैं अर्थात गाय में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं। इसी कारण दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा पर गायों की विशेष पूजा की जाती है। मूलतः हर …
Read More »गंगा दशहरा और गंगा मंत्र
शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ला पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान व दान का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, दशमी को देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतरण का दिन माना जाता है। सनातन धर्म में गंगा को सर्वाधिक पवित्र नदी माना जाता है। …
Read More »शालीग्राम और कसाई
बहुत समय पहले की बात है, एक कसाई था सदना। वह बहुत ईमानदार था, व भगवान के नाम कीर्तन में ही मस्त रहता था। यहां तक की मांस को काटते-बेचते हुए भी वह भगवद्-नाम गुनगुनाता रहता था। एक दिन वह अपनी ही धुन में कहीं जा रहा था कि उसके पैर से कोई पत्थर टकराया। वह रूक गया व उसने …
Read More »वट सावित्री व्रत
सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करें। वट वृक्ष की जड़ को दूध और जल से सींचें। इसके बाद कच्चे सूत को हल्दी में रंग कर वट वृक्ष में लपेटते हुए कम से कम तीन बार परिक्रमा करें। वट वृक्ष का …
Read More »शिव के नाम में छिपे रहस्य
भारतीय संस्कृति में बहुदेववाद की प्रतिष्ठा है, यह सत्य है किंतु भगवान शिव को ही भोले बाबा के रूप में माना गया है। इनकी अनेक नामों से पूजा की जाती है और प्रत्येक नाम इनके गुणों को प्रकाशित करता है। अपने भक्तों के दुख दारिद्रय को दूर करने के लिए बहुत जल्दी प्रसन्न होने के कारण इन्हें आशुतोष कहा जाता …
Read More »क्यों होते हैं धार्मिक स्थान पूज्य व पावन?
सन्ताें के तपस्थलाें, तीर्थस्थलाें व पवित्र धामाें की यात्रा पर जाने का महात्म्य यह है कि हमें वहां जाकर ईश्वर का स्मरण हाे सके। हमारे पूजा-स्थल, धर्म स्थान व मंदिर इसलिए पूज्य व पावन हैं क्याेंकि वहां जाकर हमें ईश्वर की याद आती है। वास्तव में ईश्वर कहीं खाे नहीं गया है, बस हमने ही उसे भुला दिया है। अनमाेल …
Read More »