गोलू की मुस्कान हिंदी कहानी: गोलू के जन्मदिन पर उसके पापा ने उसे एक सुंदर साइकिल उपहार में दी। अपना मनपसंद गिफ्ट पाकर गोलू बहुत खुश था। खुशी के साथ उसे मलाल भी था। मलाल यह था कि उसे साइकिल चलाना नहीं आती थी इसलिए उसने अपने दोस्त वैभव से कहा, “मुझे साइकिल चलाना सीखा दोगे?” “हां क्यों नहीं। कल …
Read More »लौट आओ पापा: पितृ दिवस पर हिंदी बाल-कहानी
लौट आओ पापा: कहते है जाने वाला कभी लौट कर नहीं आता है, पर इन सभी बातों को झुठलाते हुए, आप लौट आओ पापा। घर पर आपकी बहुत ज़रूरत है। ज़रूरत तो हम सबको है पर माँ को सबसे ज़्यादा। कल भैया का फ़ोन आया था। बता रहे थे कि माँ अभी भी देहरी पर बैठी रहती है किसी ना …
Read More »बाबूजी: पितृ दिवस पर कहानी
पितृ दिवस पर कहानी: बाबूजी – जब ईश्वर जरुरत से ज्यादा झोली में गिर देता हैं तो वह भी मनुष्य के लिए अहंकार और पतन का कारण बन जाता हैं। ऐसा ही कुछ हुआ चाँदनी के साथ… सभ्य, सुशील और बेहद महत्वकांशी चाँदनी को जब महात्मा गाँधी के आदर्शों पर जीवन पर्यन्त चलने वाले ईमानदार और अकेले बाबूजी ने उसे …
Read More »A Misfortune: Story by Anton Chekhov
A Misfortune: Anton Chekhov – Sofya Petrovna, the wife of Lubyantsev the notary, a handsome young woman of five-and-twenty, was walking slowly along a track that had been cleared in the wood, with Ilyin, a lawyer who was spending the summer in the neighbourhood. It was five o’clock in the evening. Feathery-white masses of cloud stood overhead; patches of bright …
Read More »Typhus: Short story by Anton Chekhov
Typhus: Short story by Anton Chekhov – A YOUNG lieutenant called Klimov was travelling from Petersburg to Moscow in a smoking carriage of the mail train. Opposite him was sitting an elderly man with a shaven face like a sea captain’s, by all appearances a well-to-do Finn or Swede. He pulled at his pipe the whole journey and kept talking …
Read More »Terror: My Friend’s Story – Anton Chekhov
Terror: My Friend’s Story – Anton Chekhov: DMITRI PETROVITCH SILIN had taken his degree and entered the government service in Petersburg, but at thirty he gave up his post and went in for agriculture. His farming was fairly successful, and yet it always seemed to me that he was not in his proper place, and that he would do well …
Read More »A Trivial Incident: Story by Anton Chekhov
A Trivial Incident: Story by Anton Chekhov – It was a sunny August midday as, in company with a Russian prince who had come down in the world, I drove into the immense so-called Shabelsky pine-forest where we were intending to look for woodcocks. In virtue of the part he plays in this story my poor prince deserves a detailed …
Read More »Zinotchka: Anton Chekhov Short Story
The party of sportsmen spent the night in a peasant’s hut on some newly mown hay. The moon peeped in at the window; from the street came the mournful wheezing of a concertina; from the hay came a sickly sweet, faintly troubling scent. The sportsmen talked about dogs, about women, about first love, and about snipe. After all the ladies …
Read More »होली वाला बर्थडे: रोचक हिंदी बाल-कहानी
होली वाला बर्थडे: होली वाले दिन “मेरा हैप्पी बर्थडे है…” कहते हुए सात साल का गोलू सारे घर के कमरों में घूम रहा था। घर के सभी सदस्य होली के तैयारियों में व्यस्त थे इसलिए कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा था। थक हार कर वह अपनी माँ को सब जगह देखते हुए राजू भैया के कमरे …
Read More »चाचा जी की होली: होली पर नटखट बाल-कहानी
चाचा जी की होली: होली के त्योहार पर नटखट बाल-कहानी शांतनु की शैतानी के किस्से पूरे मोहल्ले में मशहूर थे। अगर किसी के घर की खिड़की का काँच टूटा हो तो देखने वाले को तुरंत समझ में आ जाता था कि बॉल ज़रूर शांतनु की होगी। अगर किसी के घर की कोई डोरबेल बजा कर भाग जाता था तो भी …
Read More »