Stories in Hindi

हैंबोकलेंग नोंगसेज

हैंबोकलेंग नोंगसेज

[ads]एक समय की बात है मेघालय की पश्चिमी खासी की पहाड़ियों में एक 13 साल का लड़का हैनबोकलिंग नोंगसेज रहता था। वह पोनकंग गाँव के एक राजकीय प्राइमरी स्कूल में पड़ता था। वह सात साल का ही हुआ था, जब उसके माता पिता का देहांत हो गया। वह अपने नाना-नानी के घर रहता था। एक दिन की बात है। दोपहर …

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अच्छा आदमी कौन?

अच्छा आदमी कौन?

बहुत पहले किसी राजा ने अपने दरबारियों के समक्ष एक सवाल रखा, “अच्छा आदमी कौन है?” “जो अच्छा काम करे” – कोई दरबारी बोला। “जैसे?” “मैंने एक मंदिर बनवाया है, जहां सैकड़ो लोग रोज जाकर पूजा करते हैं। जनहित के लिए मैंने यह एक अच्छा कार्य किया है। अतएव मैं अच्छा आदमी कहलाने का अधिकारी हूँ।” “और किसने अच्छे-अच्छे कार्य …

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अंकुर का कमाल – चैतन्य

अंकुर का कमाल - चैतन्य

अपने गावं में भोलाशंकर एक अच्छा खासा दुकानदार था। आसपास के गांवो में भी राशन की कोई अच्छी दुकान नहीं थी। इसलिए भोलाशंकर की दुकान खूब चलती थी। गांव से 15 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर पड़ता था, उसी शहर से भोलाशंकर बिक्री के लिए सौदा ले कर आता। 15 दिन में बिक्री के मुताबिक़ माल की तीन-चार खेप …

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ह्र्दय परिवर्तन

ह्र्दय परिवर्तन

एक महात्मा थे। उन्होंने गेरुआ वस्त्र तो नही पहन रखा था परन्तु उनका मन अंतब्रह्मा शांति से परिपूर्ण था। अपने उधोग-धंधे के सिलसिले में रोज लोकल ट्रेन से लम्बी यात्राएं करते थे। उन दिनों ट्रेन में आज के जितनी भीड़-भाड़ नही रहती थी, फिर भी काफी चहल-पहल रहती थी मन ही मन वह सज्जन अपना जप, ध्यान इत्यादि करते थे। …

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तीन ज्ञानवर्धक प्रेरक प्रसंग

तीन ज्ञानवर्धक प्रेरक प्रसंग

छोटी-छोटी घटनाएं कई बार बहुत बड़ी सीख दे जाती हैं। आज हम आपके साथ ऐसे ही तीन प्रेरक प्रसंग share कर रहे हैं जो हमें बहुत अच्छी सीख देते हैं। प्रेरक प्रसंग १ –  स्वर्ग- नरक शास्त्रों में निपुण, प्रसिद्ध ज्ञानी एवं प्रख्यात संत श्री देवाचार्य के शिष्य का नाम महेन्द्रनाथ था। एक शाम महेन्द्रनाथ अपने साथियों के साथ उद्यान …

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माँ तो आखिर माँ होती है

माँ तो आखिर माँ होती है

एक छोटे से कसबे में समीर नाम का एक लड़का रहता था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी, समीर की माँ कुछ पढ़ी-लिखी ज़रुर थीं लेकिन उतनी पढाई से नौकरी कहाँ मिलने वाली थी सो घर-घर बर्तन मांज कर और सिलाई-बुनाई का काम करके किसी तरह अपने बच्चे को …

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माँ – मेरी माँ

माँ - मेरी माँ

पति के घर में प्रवेश करते ही पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा: “पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता किया, वहाँ भी नहीं पहुँचे! मामला क्या है?” “वो-वो… मैं…” पति की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, “बोलते नही? कहां चले गये थे। ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये?” “वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया …

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भिखारी का आत्मसम्मान – किरण साहू

एक भिखारी किसी स्टेशन पर पेँसिलोँ से भरा कटोरा लेकर बैठा हुआ था। एक युवा व्यवसायी उधर से गुजरा और उसनेँ कटोरे मेँ 50 रूपये डाल दिया, लेकिन उसनेँ कोई पेँसिल नहीँ ली। उसके बाद वह ट्रेन मेँ बैठ गया। डिब्बे का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और …

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