लौट आओ पापा: कहते है जाने वाला कभी लौट कर नहीं आता है, पर इन सभी बातों को झुठलाते हुए, आप लौट आओ पापा। घर पर आपकी बहुत ज़रूरत है। ज़रूरत तो हम सबको है पर माँ को सबसे ज़्यादा। कल भैया का फ़ोन आया था। बता रहे थे कि माँ अभी भी देहरी पर बैठी रहती है किसी ना …
Read More »बाबूजी: पितृ दिवस पर कहानी
पितृ दिवस पर कहानी: बाबूजी – जब ईश्वर जरुरत से ज्यादा झोली में गिर देता हैं तो वह भी मनुष्य के लिए अहंकार और पतन का कारण बन जाता हैं। ऐसा ही कुछ हुआ चाँदनी के साथ… सभ्य, सुशील और बेहद महत्वकांशी चाँदनी को जब महात्मा गाँधी के आदर्शों पर जीवन पर्यन्त चलने वाले ईमानदार और अकेले बाबूजी ने उसे …
Read More »होली वाला बर्थडे: रोचक हिंदी बाल-कहानी
होली वाला बर्थडे: होली वाले दिन “मेरा हैप्पी बर्थडे है…” कहते हुए सात साल का गोलू सारे घर के कमरों में घूम रहा था। घर के सभी सदस्य होली के तैयारियों में व्यस्त थे इसलिए कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा था। थक हार कर वह अपनी माँ को सब जगह देखते हुए राजू भैया के कमरे …
Read More »चाचा जी की होली: होली पर नटखट बाल-कहानी
चाचा जी की होली: होली के त्योहार पर नटखट बाल-कहानी शांतनु की शैतानी के किस्से पूरे मोहल्ले में मशहूर थे। अगर किसी के घर की खिड़की का काँच टूटा हो तो देखने वाले को तुरंत समझ में आ जाता था कि बॉल ज़रूर शांतनु की होगी। अगर किसी के घर की कोई डोरबेल बजा कर भाग जाता था तो भी …
Read More »दीपक की होली: होली पर शिक्षाप्रद बाल कहानी
“इस बार होली खेलने के लिए मैं तुम्हारे घर ही आ जाउंगी” सिमी ने राहुल से कहा। “हाँ, तुम्हारी छत बहुत बड़ी है। यहाँ से हमें आधा शहर तो यूँ ही दिख जाता है” मंजुल ने मुस्कुराते हुए कहा। “मैं तो गुलाबी रंग का गुलाल लगाउंगी। मुझे गुलाबी रंग बहुत पसंद है” सलोनी ने खुश होते हुए कहा। “कभी शीशे …
Read More »बिल्लू की पतंग: कहानी एक चंचल बच्चे की
बिल्लू हमेशा की तरह अपनी किताब पकड़े हुए बगीचे में बैठा हुआ था पर उसकी नज़रें आसमान में उड़ती हुई लाल पतंग पर टिकी हुई थी। मम्मी जो कि पास ही बैठी गुलाब के पौधों की कटाई-छंटाई कर रही थी उसे बीच बीच में देख लेती थी। वह मन ही मन बहुत खुश हो रही थी कि करीब एक घंटा …
Read More »गुल्लक: दिल को छू लेने वाली बाल-कहानी
गुल्लक: कानू चाचा ठेले पर इमली की लाल चटनी बेचा करते थे। उनके ठेले पर कच्चे आम के टुकड़े भी बिकते, जिसमें लाल मिर्च डाल कर कानू चाचा हमें देते थे। उस समय आज की तरह चीजें महंगी नहीं हुआ करती थीं। चवन्नी या अठन्नी ही हमें रोज घर से मिला करती थी। कानू चाचा पुराने पीपल के पेड़ के …
Read More »जन्मदिन का उपहार: दिल को छू लेने वाली कहानी
जन्मदिन का उपहार: “तुम कल स्कूल क्यों नहीं आईं” रमा मैडम ने अंकिता से पूछा? अंकिता का मन हुआ कि वह गायब हो जाए या फिर कहीं छुप जाए। पर कहाँ, ले देकर एक बेंच ही है जहाँ पर वह दूसरे बच्चों के पैरों के पीछे छुपने की कोशिश कर सकती थी पर उसे तो पता ही नहीं चलेगा कि मैडम …
Read More »राखी का त्यौहार और चश्में वाली पतंग: हास्यप्रद कहानी
राखी का त्यौहार और चश्में वाली पतंग: अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिये हर बहन रक्षा बंधन के दिन का इंतजार करती है। वैसे ही भाई भी बहन की राखी का बेसब्री से इंतज़ार करता है। यह त्यौहार बहन-भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है, कहा जा सकता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और …
Read More »राखी: रक्षा और बंधन का संगम है रक्षाबंधन
जब भी राखी का त्यौहार आता था, मुन्नी का दिल भर आता था। वह दिन भर घर के अंदर और बाहर चक्कर लगाया करती थी कि शायद उसका भाई लौट आये। पर एक राखी के बाद दूसरी और फिर तीसरी और फ़िर बहुत सारी राखी आई पर उसका भाई नहीं आया। आज राखी थी और हर साल की तरह मुन्नी …
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