वसंत पंचमी पूजा Basant Panchami Prayer

वसंत पंचमी पूजा कब और कैसे करें

माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है। यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसीलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। साथ ही यह मां सरस्वती की जयंती का दिन है।

इस दिन से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं। इस दिन को बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना के रूप में मनाया जाता है।

Basant Panchami Puja
Basant Panchami Puja

वसंत पंचमी का पूजन कैसे करें:

  1. वसंत पंचमी में प्रातः उठ कर बेसन युक्त तेल का शरीर पर उबटन करके स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ पीतांबर या पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती के पूजन की ‍तैयारी करना चाहिए।
  2. माघ शुक्ल पूर्वविद्धा पंचमी को उत्तम वेदी पर वस्त्र बिछाकर अक्षत (चावल) से अष्टदल कमल बनाएं।
  3. उसके अग्रभाग में गणेश जी स्थापित करें।
  4. पृष्ठभाग में ‘वसंत’ स्थापित करें। वसंत, जौ व गेहूं की बाली के पुंज को जल से भरे कलश में डंठल सहित रखकर बनाया जाता है।
  5. इसके पश्चात्‌ सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें और फिर पृष्ठभाग में स्थापित वसंत पुंज के द्वारा रति और कामदेव का पूजन करें। इसके लिए पुंज पर अबीर आदि के पुष्पों माध्यम से छींटे लगाकर वसंत सदृश बनाएं।
  6. तत्पश्चात्‌

    ‘शुभा रतिः प्रकर्त्तव्या वसन्तोज्ज्वलभूषणा।
    नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता॥
    वीणावादनशीला च मदकर्पूरचर्चिता।

    श्लोक से ‘रति’ का और कामदेव व रति‘ कामदेवस्तु कर्त्तव्यो रूपेणाप्रतिमो भुवि।
    अष्टबाहुः स कर्त्तव्यः शंखपद्मविभूषणः॥

    चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः।
    रतिः प्रतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्ज्वला॥

    चतस्त्रस्तस्य कर्त्तव्याः पत्न्यो रूपमनोहराः।
    चत्वाश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः॥

    केतुश्च मकरः कार्यः पंचबाणमुखो महान्‌।’

    इस प्रकार से कामदेव का ध्यान करके विविध प्रकार के फल, पुष्प और पत्रादि समर्पण करें तो गृहस्थ जीवन सुखमय होकर प्रत्येक कार्य को करने के लिए उत्साह प्राप्त होता है।

  7. सामान्य हवन करने के बाद केशर या हल्दी मिश्रित हलवे की आहुतियां दें।
  8. वसंत पंचमी‘ के दिन किसान लोग नए अन्न में गुड़ तथा घी मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ-तर्पण करें। साथ ही केशरयुक्त मीठे चावल अवश्य घर में बनाकर उनका सेवन करना चाहिए।
  9. इस दिन विष्णु-पूजन का भी महात्म्य है।
  10. वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का भी विधान है। कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करने के बाद वीणावादिनी मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए।

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