बसंत पंचमी: सरस्वती आराधना का पर्व

बसंत पंचमी: सरस्वती आराधना का पर्व – सरस्वती जयंती, श्रीपंचमी

बसंत पंचमी: सरस्वती आराधना का पर्वभारतीय धर्म में हर तीज-त्योहार के साथ दिलचस्प परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इसीलिए प्रत्येक पर्व-त्योहार के मद्देनजर गांवों-शहरों का स्वरूप कुछ बदल-सा जाता है और सभी समुदाय के लोग तरह-तरह की परंपराएं निभाते हुए हर त्योहार का मनपूर्वक मनाते हैं।

बसंत पंचमी: सरस्वती आराधना का पर्व

माँ सरस्वती
माँ सरस्वती

यह तिथि देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस होने से इस दिन सरस्वती जयंती, श्रीपंचमी आदि पर्व भी होते हैं। वैसे सायन कुंभ में सूर्य आने पर वसंत शुरू होता है। इस दिन से वसंत राग, वसंत के प्यार भरे गीत, राग-रागिनियां गाने की शुरुआत होती है। इस दिन सात रागों में से पंचम स्वर (वसंत राग) में गायन, कामदेव, उनकी पत्नी रति और वसंत की पूजा की जाती है।

खास तौर पर बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वांचल के लोग भी इस पर्व को खासे उत्साह के साख मनाते है। इस विशेष उत्साह के साथ सरस्वती पूजा की तैयारियां भी की जाती है।

इस दिन सैंकड़ों स्थानों पर सामूहिक आयोजन किया जाता है। माता सरस्वती की पूजा में मूर्तियों के साथ पलाश की लकड़ियों, पत्तों और फूलों आदि का उपयोग किया जाता है। विधि-विधान के साथ पूजन, पुष्पांजलि और आरती के साथ पूजा संपन्न होती है।

रातभर भक्ति संगीत के साथ अगले दिन सरस्वती की मूर्तियों को नदी में विसर्जन किया जाता है।

इस पूरे दिन खुले आसमान में पंतगबाजी और एक-दूसरे के साथ चुहलबाजी करने में दिन व्यतीत हो जाता है। वासंती रंग की मिठाइयों के साथ दूसरी और भी कई तरह की खाने-पीने की चीजों की भरमार होती है।

Check Also

Vasant Panchami: Birthday of Goddess Saraswati

Vasant Panchami: As ‘Diwali‘ – the festival of light – is to Lakshmi, goddess of …