धनतेरस पर धन प्राप्ति के अचूक उपाय: धनत्रयोदशी के दिन क्या करें

धनतेरस पर धन प्राप्ति के अचूक उपाय: धनत्रयोदशी के दिन क्या करें

धनतेरस पर धन प्राप्ति – कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, जिसे धनत्रयोदशी या धनतेरस भी कहा जाता है, को लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि का दिन भी माना जाता है। इसके नाम में धन और तेरस शब्दों के बारे में मान्यता है कि इस दिन खरीदे गए धन (स्वर्ण, रजत) में 13 गुना अभिवृद्धि हो जाती है। प्राचीन काल से ही इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा रही है। चांदी चंद्रमा का प्रतीक है और चंद्रमा धन व मन दोनों का स्वामी है। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक भी है और संतुष्टि का भी। शायद इसके पीछे की सोच यह है कि संतुष्टि का अनुभव ही सबसे बड़ा धन है। जो संतुष्ट है, वही धनी भी है और सुखी भी। धनतेरस के साथ धन्वंतरि का भी नाम जुड़ा है क्योंकि धन का भोग करने के लिए लक्ष्मी की कृपा के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की भी जरूरत होती है।

धनतेरस पर धन प्राप्ति

भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म में देव वैद्य का पद हासिल है। कुछ ग्रंथों में उन्हें विष्णु का अवतार भी कहा गया है। धन का भौतिक स्वरूप और धन्वंतरि, दोनों के ही तार समुद्र मंथन से जुड़े हैं। पवित्र कथाएं कहती हैं कि कार्तिक कृष्ण द्वादशी को कामधेनु, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को महाकाली और अमावस्या को महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। धन्वंतरि को चतुर्भुज कहा गया है। इनके चारों हाथों में अमृत कलश, औषधि, शंख और चक्र विद्यमान हैं।

धनतेरस में धन शब्द को धन संपत्ति और धन्वंतरि दोनों से ही जोड़कर देखा जाता है। धन्वंतरि के चांदी के कलश व शंख के साथ प्रकट होने के कारण इस दिन शंख के साथ पूजन सामग्री, लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा के साथ चांदी के पात्र या बर्तन खरीदने की परंपरा आरंभ हुई। कहीं-कहीं इस कलश को पीतल का भी बताया जाता है। कालांतर में चांदी या पीतल के बर्तनों की जगह कीमत और सुगमता के कारण स्टील का प्रचलन शुरू हो गया। हालांकि पारंपरिक रूप से स्वर्ण और चांदी को ही श्रेष्ठ माना जाता है।

तंत्र शास्त्र में इस दिन लक्ष्मी, गणपति, विष्णु व धन्वंतरि के साथ कुबेर की साधना की जाती है। इस रात्रि में कुबेर यंत्र, कनकधारा यंत्र, श्री यंत्र व लक्ष्मी स्वरूप श्री दक्षिणावर्ती यंत्र के पूजन को सुख समृद्धि व धन प्राप्ति के लिए अचूक माना गया है।

धनत्रयोदशी के दिन क्या करें:

  • धनतेरस के दिन घर से बाहर या दक्षिण दिशा में दीपमालिका (कई दीपों की पंक्ति) जलाकर यम को अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु से बचाव होता है।
  • इस दिन स्वर्ण व चांदी खरीदने से धन में 13 गुना वृद्धि होती है, ऐसी मान्यता है।
  • इस दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक व रंगोली बनाने से लक्ष्मी आकर्षित होती हैं।
  • दक्षिणावर्ती शंख पर लक्ष्मी मंत्र लिखने से धन प्राप्ति का योग बनता है।
  • धन्वंतरि मंत्र के जाप से आरोग्य प्राप्त होता है:

ऊं धन्वंतरयेः नमः। या ऊं भगवते महासुदर्शनाय वायुदेवाय, धन्वंतरायः
अमृत कलश हस्ताय, सर्वभय विनाशाय, सर्वरोग निवारणाय, त्रिलोकपथाय
श्री महाविष्णु स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः

Check Also

Baisakhi Customs: Sikh Culture & Traditions

Baisakhi Customs: Harvest Festival Rituals & Traditions

Baisakhi Customs: Baisakhi Rituals & Traditions – The harvest festival of Baisakhi is celebrated with …