Pen Town, Maharashtra Makes 30 Lac Lord Ganesh Idols a Year पेण - गणपति का गांव

पेण तालुका: 30 लाख गणपति की मूर्तियां बनती हैं हर साल

पेण तालुका: महाराष्ट्र सहित पूरे देश में गणेशोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेशोत्सव के लिए महाराष्ट्र के पेण तालुका में गणपति की मूर्ति बनाने का कार्य पूरे साल चलता रहता है। यह छोटा-सा गांव मुम्बई से 40 कि.मी. दूर रायगढ़ जिले के मुम्बई-गोवा हाईवे पर बसा है। इस गांव की बनी गणपति प्रतिमाएं मुम्बई से लेकर राज्य के अन्य भागों में जाती हैं। इस गांव में मूर्ति बनाने का काम बारह महीने चलता है। इस गांव में सालाना लगभग सौ करोड़ रुपए से अधिक का व्यवसाय मूर्तिकार करते हैं। पेण के मूर्तिकारों को विश्वास है कि पिछले साल की तुलना में इस साल गणपति का व्यवसाय सौ करोड़ रुपए से अधिक होगा।

30 लाख मूर्तियां: पेण तालुका

पेण तालुका में आबादी लगभग 25 हजार है। इस तालुका के लोग प्रति वर्ष करीब तीस लाख गणपति की मूर्तियां बनाते हैं। इस व्यवसाय में बच्चे से लेकर बूढ़े तक जुड़े रहते हैं। पहले परम्परागत तरीके से यहां मिट्टी की गणपति प्रतिमा बनाई जाती थी लेकिन अब यहां पर भी पूर्ण आधुनिक तरीके से बप्पा की मूर्त बनाने लगे हैं। यहां के लोगों का मुम्बई, ठाणे सहित अन्य जगहों पर ग्राहक निश्चित हैं जिन्हें यह अपनी मूर्त भेजते हैं।

350 मूर्तशालाएं

पेण तालुका में हरामपुर, कलवा, वाशी, जोहे, दिव, भाल, शिर्की, गडब, बडखल, बोरी, काप्रोली, उंबर्डे गांव 350 मूर्तशालाएं हैं। मूर्त व्यवसाय दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। भगवान गणपति की मूर्तियां के अलावा इस क्षेत्र के लोग मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां बनाते हैं और नवरात्रोत्सव के समय बेचते हैं।

विदेशों में भी जाती हैं मूर्तियां

पेण तालुका में बनने वाली गणपति बप्पा की मूर्तियां मॉरिशस, आस्ट्रेलिया, इंगलैंड, अमेरिका सहित अन्य देशों में 250 से अधिक प्रकार की 20000 से अधिक मूर्तियां भेजी जाती हैं।

30 हजार लोगों को रोजगार

विघ्नहर्ता गणपति की मूर्त व्यवसाय से पेण तालुका में 30 हजार लोगों को पूरे साल रोजगार मिलता है। यहां के कारीगर मूर्त के सांचा, उसको रखने के तरीके, मूर्त को आकार देने आदि की कारीगरी करने में इतने माहिर हैं कि वैसी मूर्त की सुंदरता अन्य शहरों में कारीगर नहीं दे पाते हैं।

महिलाएं भी जुड़ी हैं

पेण तालुका में पुरुष के साथ गणपति मूर्त व्यवसाय में महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं। पेण की कच्ची मूर्तियां लाकर रंग देने का काम मुम्बई-ठाणे परिसर में भी किया जाता है।

उद्योग का रूप देने का प्रयास

पेण के गणपति मूर्त बनाने वाले उद्योग को महामंडल ने उद्योग का स्वरूप देने का प्रयत्न किया था परन्तु सरकारी नियम के मुताबिक गणेश कार्यशाला को उद्योग में बैठाना मुश्किल हो गया था। मूर्त व्यवसाय उद्योग होने के कारण पेण तालुका के मूर्त कारीगर लोड शेडिंग व अन्य समस्याओं को मात देते हुए घर-घर गणपति बप्पा को पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

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