इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स और ये हैं उनके जोशीले युद्ध उद्घोष, जिन्हें सुनते ही जोश से भर जाता है हर सैनिक
भारतीय सेना, दुनिया की टॉप पांच सबसे शक्तिशाली सेनाओं का हिस्सा है। हमारे सैनिक युद्ध की जिन कलाओं में पारंगत हैं, उनमें से तो कुछ ऐसी हैं जिनकी बराबरी अमेरिका और ब्रिटेन के सैनिक भी नहीं कर सकते हैं। हमारे सैनिक, ‘नाम, नमक और निशान’ के लिए लड़ते हैं।
भारतीय सेना, दुनिया की टॉप पांच सबसे शक्तिशाली सेनाओं का हिस्सा है। हमारे सैनिक युद्ध की जिन कलाओं में पारंगत हैं, उनमें से तो कुछ ऐसी हैं जिनकी बराबरी अमेरिका और ब्रिटेन के सैनिक भी नहीं कर सकते हैं। हमारे सैनिक, ‘नाम, नमक और निशान‘, के लिए लड़ते हैं और इनके लिए शहीद होना ही इनका धर्म बन जाता है। नाम मतलब रेजीमेंट, नमक मतलब देश और निशान मतलब पलटन का झंडा, यही तीनें बातें इंडियन आर्मी का मुख्य सिद्धांत हैं और हर सैनिक इसे ही निभाता है। सेना में कई रेजीमेंट हैं और हर रेजीमेंट की अपना एक War Cry यानी युद्ध उद्घोष है। War Cry यानी युद्ध के समय पर एक सैनिक को प्रेरणा देने वाले ऐसे जोशीले शब्द, जो दुश्मन पर भी भारी पड़ जाए। आज हम आपको भारतीय सेना की कुछ इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स उनकी कुछ ऐसी War Cry से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद निश्चित तौर पर आप भी जोश से भर जाएंगे।
इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स के War Cry
बिहार रेजीमेंट: जय बजरंग बली
बिहार रेजीमेंट, सेना की सबसे पुरानी इनफेंट्री रेजीमेंट है और सन् 1941 में इसका गठन किया गया था। इसका हेडक्वार्टर बिहार के दानापुर में है। बिहार रेजीमेंट वही रेजीमेंट है जिसने इस वर्ष जून में गलवान घाटी में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) को हैंड-टू-हैंड बैटल में धूल चटाई थी। 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कर्नल संतोष बाबू और उनके जवानों ने बहादुरी से चीनी सेना का मुकाबला किया था।
गोरखा राइफल्स: जय मां काली, आयो गोरखाली
भारत की आजादी के बाद भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता साइन हुआ था। इसके तहत ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 10 गोरखा रेजीमेंट्स में से छह इंडियन आर्मी का हिस्सा बन गई थीं।
गढ़वाल राइफल्स: बदरी विशाल लाल की जय
गढ़वाल राइफल्स की स्थापना बंगाल आर्मी के तहत सन् 1887 में हुई थी और यह बंगाल आर्मी की 39वीं रेजीमेंट थी। बाद में यह ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा बनी और आजादी के बाद इंडियन आर्मी में शामिल हो गई।
ब्रिग्रेड ऑफ गार्ड्स: गरुड़ का हूं बोल प्यारे
यह इस रेजीमेंट की वॉर क्राइ है और इसका ध्येय है, ‘पहला हमेशा पहला.’ इस रेजीमेंट को इंडियन आर्मी के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के दिमाग की उपज माना जाता है। उन्होंने ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स की स्थापना की और इसके लिए, ‘द गार्ड्स, द एलीट,’ का प्रयोग होना शुरू हुआ।
पंजाब रेजीमेंट: जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल, बोल ज्वाला मां की जय
पंजाब रेजीमेंट, इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी रेजीमेंट्स में से एक है। इसकी स्थापना ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तहत सन् 1947 में हुई थी और इसे ब्रिटिश आर्मी की दूसरी पंजाब रेजीमेंट के तहत तैयार किया गया था। इस रेजीमेंट ने तब से कई तरह के युद्धों में हिस्सा लिया और हमेशा अजेय रही।
मद्रास रेजीमेंट: वीरा मद्रासी, अदि कोल्लू, अदि कोल्लू
मद्रास रेजीमेंट सेना की सबसे पुरानी इंफ्रेंट्री रेजीमेंट है और इसकी शुरुआत सन् 1750 में हुई थी। इस रेजीमेंट ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी के साथ मिलकर कई कैंपेन में हिस्सा लिया और आजादी के बाद भी यह सेना का अभिन्न अंग बन गई।
ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट: सर्वदा शक्तिशाली
इस रेजीमेंट की वॉर क्राइ है ‘सर्वदा शक्तिशाली’, ग्रेनेडियर्स का पहला जिक्र सन् 1684 में मिलता है। इस रेजीमेंट ने दूसरे एंग्लो-अफगान वॉर, तीसरे बर्मा वॉर, पहले और दूसरे विश्व युद्ध के अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच सन् 1965 और 1971 में हुए युद्ध के अलावा सन् 1999 में हुई कारगिल संघर्ष में भी हिस्सा लिया था।
मराठा लाइट इंफ्रेट्री: बोल श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की जय
इस युद्ध उदघोष वाली मराठा लाइट इंफ्रेंट्री 16वीं, 17वीं और 18वीं सदी से ही भारत की ताकत बनी हुई है। मुगलों और फिर ब्रिटिश शासकों के खिलाफ इस रेजीमेंट ने छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में बहादुरी से मोर्चा लिया था।
राजपूताना राइफल्स (इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स): राजा राम चंद्र की जय
राजपूताना राइफल्स, सेना की सबसे पुरानी राइफल रेजीमेंट है। सन् 1921 में इसका गठन हुआ है और उस समय यह ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तहत आती थी। यह रेजीमेंट आजादी के बाद से ही पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा लेती आई है।
जाट रेजीमेंट (इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स): जाट बलवान, जय भगवान
जाट रेजीमेंट एक इंफ्रेंट्री रेजीमेंट है। इस रेजीमेंट ने सन् 1839 से 1947 के बीच 19 युद्ध सम्मान जीते और आजादी के बाद इसे पांच युद्ध सम्मानों से नवाज गया। रेजीमेंट के हिस्से आठ महावीर चक्र, आठ कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना मेडल्स अब तक आ चुके हैं।
सिख रेजीमेंट: जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल
सिख रेजीमेंट ने कारगिल की जंग में टाइगर हिल, हेलमेट और इंडिया गेट जो टाइगर हिल का पश्चिमी हिस्सा है, वहां से दुश्मनों को द्रास में सात और आठ जुलाई की रात को हराया था। इस रेजीमेंट के हिस्से 1652 गैलेंट्री अवॉर्ड्स हैं।
कुमांऊ रेजीमेंट (इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स): इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स
कालिका माता की जय – बजरंग बली की जय – दादा किशन की जय, ज्वाला माता की जय। इस रेजीमेंट को सन् 1922 में संगठित किया गया था।
डोगरा रेजीमेंट: ज्वाला माता की जय
इस रेजीमेंट का गठन सन् 1922 में किया गया था और उस समय इसे 17 डोगरा रेजीमेंट के तौर पर जाना जाता था। 1 जनवरी 2003 को जनरल निर्मल चंदर विज, सेना प्रमुख नियुक्त हुए थे और वह इसी रेजीमेंट से आते थे। सन् 2005 तक जनरल विज सेना प्रमुख के तौर पर थे।
महार रेजीमेंट (इंडियन आर्मी रेजीमेंट्स): बोलो हिंदुस्तान की जय
महार रेजीमेंट सेना की सबसे पुरानी इनफेंट्री रेजीमेंट है। शुरुआत में इस रेजीमेंट का गठन सिर्फ महाराष्ट्र के लोगों को लेकर किया गया था। लेकिन आज इस रेजीमेंट में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के भी सैनिक शामिल हैं।