African Folktale in Hindi: How ants carry so much weight चींटियाँ भारी बोझा क्यूँ ढोती हैं

African Folktale in Hindi: How ants carry so much weight चींटियाँ भारी बोझा क्यूँ ढोती हैं

“मैं ऊपर चढ़कर उसे नीचे ले लाता हूँ” – कवेकू ने कहा और वह फ़ौरन पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ के ऊपर जाकर उसने जैसे ही बौने को छुआ, बौना धड़ाम से नीचे गिर गया।”

“अरे, ये तुमने क्या कर दिया!” – दुष्ट अनानसी गुस्से से चिल्लाया – “तुमने राजा के चहेते जोकर को मार डाला।”

“हाँ, मैंने कुबड़े बौने को मार डाला।” – कवेकू ने कहा क्योंकि अब तक वह अपने पिता की चाल को समझ चुका था इसलिए वह बड़े ही शांत स्वर में बोला – “राजा कुबड़े बौने से बहुत नाराज़ है और उसने उसे मारने वाले को एक थैली सोना देने की मुनादी की है। मैं अब जाकर राजा से अपना ईनाम लूँगा।”

“नहीं! नहीं!” – अनानसी चिल्लाया – “ईनाम मैं लूँगा! मैंने उसे दो मोटी लकड़ियों से पीटकर मारा है। उसे मैं राजा के पास ले जाऊंगा।”

“ठीक है, जैसी आपकी इच्छा।” – कवेकू बोला  – “अगर आपने उसे मारा है तो आप ही ले जाओ।”

ईनाम मिलने के लालच में अनानसी बौने की लाश को ढोकर ले गया। राजा अपने प्रिय बौने की मृत्यु के बारे में जानकर बड़ा क्रोधित हुआ। उसने बौने की लाश को एक बड़े बक्से में बंद करके यह आदेश दिया कि अनानसी सजा के रूप में उस बक्से को हमेशा अपने सर के ऊपर ढोएगा। राजा ने बक्से पर ऐसा जादू-टोना करवा दिया कि बक्सा कभी भी जमीन पर ना उतारा जा सके। अनानसी उस बक्से को किसी और के सर पर रखकर ही उससे मुक्ति पा सकता था और कोई भी ऐसा करने को राज़ी नहीं था।

अनानसी उस बक्से को अपने सर पर दिन रात ढोते-ढोते दुहरा सा हो गया। एक दिन उसे रास्ते में उसे चींटी मिली। अनानसी ने चींटी से कहा – “क्या तुम कुछ देर के लिए इस बक्से को अपने सर पर रख लोगी? मुझे बाज़ार जाकर कुछ ज़रूरी सामान खरीदना है।”

चींटी ने अनानसी से कहा – “अनानसी, मैं तुम्हारी सारी चालाकी समझती हूँ। तुम इस बक्से से छुटकारा पाना चाहते हो।”

“नहीं, नहीं. ऐसा नहीं है, मैं सच कह रहा हूँ कि मैं जल्द ही वापस आ जाऊँगा और तुमसे ये बक्सा ले लूँगा!” – अनानसी बोला

बेचारी भोली-भाली चींटी ने पता नहीं क्या सोचकर अनानसी से वह बक्सा अपने सर पर रखवा लिया। अनानसी वहाँ से जाने के बाद फिर कभी भी लौटकर वापस नहीं आया। चींटी ज़िन्दगी भर उसकी राह देखती रही और एक दिन वह मर गई। उसी चींटी की याद में आज भी सारी चींटियाँ अपने शरीर से भी बड़े और भारी बोझ ढोती रहती हैं और अनानसी की दुष्टता को याद करती हैं।

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