परशुराम की रोचक कहानियाँ: Amazing Story of Parshuram

परशुराम की रोचक कहानियाँ: Amazing Story of Parshuram

परशुराम का जन्म त्रेता युग में रामायण काल में हुआ था। वह एक ब्राह्मण थे। उनको विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है। भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा पुत्र पुत्रेष्टि यज्ञ करने पर देवराज इंद्र ने पुत्र होने का वरदान दिया था।

उसी के फलस्वरूप परशुराम ने अपनी माता रेणुका के गर्भ से वैशाख की शुक्ल तृतीया को जन्म लिया था। परशुराम अपने क्रोध के लिए जाने जाते हैं। वो अपने क्षत्रिय गुणों और वीरता के लिए जाने जाते हैं। उनसे जुड़ी बहुत ही कहानियां है। आज के लेख में हम आपको परशुराम की 5 रोचक कहानियों के बारे में बताएंगे।

परशुराम की रोचक कहानियाँ Amazing Story of Parshuram

1. कैसे हुआ परशुराम का जन्म? (रोचक कहानी)

यह कहानी बहुत ही रोचक है। प्राचीन काल में कन्नौज राज्य में गाधि नाम के एक राजा राज करते थे। उनकी पुत्री का नाम सत्यवती था। सत्यवती का विवाह भृगुनन्दन ऋषीक  से हुआ था।

भृगु ऋषि- भृगुनन्दन ऋषीक के पिता और सत्यवती के ससुर लगते थे। एक बार उन्होंने अपनी पुत्रवधू सत्यवती और उसकी मां को पुत्र होने का वरदान दिया। भृगु ऋषि ने सत्यवती को दो फल दिए और बताया कि स्नान करने के बाद सत्यवती और उसकी माता को पुत्र की इच्छा लेकर पीपल और गूलर के पेड़ का आलिंगन करना है।

फिर उनके द्वारा दिए गए फल का सेवन करना है। परंतु सत्यवती की माता ने लालचवश दोनों फल बदल दिए। जो फल सत्यवती को खाना था उसे बदल कर स्वयं उसकी माता से खा लिया। अज्ञानतावश सत्यवती ने अपनी माता का फल ग्रहण कर लिया। जब भृगु ऋषि को इस बात का पता चला तो उन्होंने सत्यवती से कहा कि अब तुम्हारा पुत्र ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय गुणों वाला होगा।

इससे परेशान होकर सत्यवती ने कहा कि ऐसा ना हो। भले ही मेरा पौत्र क्षत्रिय गुणों वाला हो जाए। कुछ समय बाद सत्यवती के गर्भ से महर्षि जमदग्नि का जन्म हुआ। युवा होने पर महर्षि जमदग्नि का विवाह रेणुका से हुआ। इस तरह परशुराम का जन्म हुआ, जो जन्म से ब्राह्मण होते हुए भी कर्म से क्षत्रिय गुणों वाले थे।

2. परशुराम ने माता का वध किया

यह कहानी बहुत ही रोचक है। एक बार परशुराम की मां रेणुका स्नान करके लौट रही थी। संयोग से उन्होंने राजा चित्ररथ को जल विहार करते हुए देखा। राजा को देख कर रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया। जब वे आश्रम पहुंची तो महर्षि जगदग्नि ने रेणुका के मन की बात जान ली।

क्रोधवश उन्होंने अपने पुत्रों से रेणुका का वध करने को कहा। लेकिन किसी ने उनकी आज्ञा का पालन नहीं किया। तब परशुराम ने अपने फरसे से माता रेणुका का सिर काट दिया। यह देखकर भृगु श्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने वरदान में अपनी माता को जीवित करने की बात कही।

Parashurama Beheads His Mother Renuka
Parashurama Beheads His Mother Renuka

3. राजा कार्तवीर्य अर्जुन का वध किया

एक बार महिष्मती देश का राजा कार्तवीर्य अर्जुन ने अपने मार्ग से गुजरते हुए महर्षि जमदग्नि के आश्रम में विश्राम किया। कामधेनु गाय ने बड़ी आसानी से पूरी सेना के लिए भोजन की व्यवस्था कर दी थी। यह देखकर राजा कार्तिवीर्य लालच में आ गया।

वह कामधेनु के बछड़े को बलपूर्वक अपने साथ ले गया। जब परशुराम को यह बात पता चली तो वे राजा के महल गए और राजा कार्तवीर्य अर्जुन की 1000 भुजाएं काट दी और उसका वध कर दिया।

Parashurama Killing Kartaveerya
Parashurama Killing Kartaveerya

4. क्षत्रियों का 21 बार संहार किया

राजा कार्तवीर्य अर्जुन के पुत्रों ने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी। इससे क्रोधित होकर परशुराम ने राजा कार्तवीर्य अर्जुन के सभी पुत्रों का वध कर दिया। जिन राजाओं ने युद्ध में उनका साथ दिया उनका भी वध परशुराम ने कर दिया। इस तरह उन्होंने धरती पर 21 बार क्षत्रियों का विनाश किया।

5. कर्ण को श्राप दिया

जब परशुराम की मित्रता कर्ण से हुई तो उसने स्वयं को सूत पुत्र बताया। एक दिन जब परशुराम, कर्ण की गोद में सो रहे थे तो एक भयंकर कीड़े ने कर्ण को काट लिया परंतु वह पीड़ा सहते रहे। उन्होंने परशुराम को नींद से नहीं उठाया। जब परशुराम को यह बात पता चली तो वह समझ गए कि कर्ण कोई सूत पुत्र नहीं बल्कि राजपूत्र है।

Parashurama curse to Karna
Parashurama curse to Karna

इस कारण उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जो शस्त्र विद्या उसने परशुराम से सीखी है वह उसे उस समय भूल जाएगा जब कर्ण को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी। इस श्राप की वजह से महाभारत के युद्ध में कर्ण की मृत्यु हुई।

6. परशुराम ने गणेश का दांत अपने फरसे से काट दिया

यह कहानी भी बेहद रोचक है। एक बार भगवान परशुराम शिव और पार्वती के दर्शन करने के लिए कैलाश पहुंचे। उस समय भगवान शिव ध्यान साधना में बैठे हुए थे। गणेश ने परशुराम को भगवान शिव से मिलने से रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर परशुराम ने अपने फरसे से गणेश पर आक्रमण किया।

वह फरसा भगवान शिव द्वारा ही परशुराम को वरदान में दिया गया था। उसका वार खाली न जाए इसलिए गणेश ने अपना दांत फरसे के सामने कर दिया, जिस कारण उनका एक दांत टूट गया। उसके बाद श्री गणेश को एकदंत के नाम से पुकारा जाता है।

War Of Lord Ganesha And Lord Parshuram
War Of Lord Ganesha And Lord Parshuram | Watercolor On Handmade Sheet

आशा करते हैं आपको ‘परशुराम के कहानियाँ – Amazing Story of Parashuram’ अच्छी लगी होगी।

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