एक बार एक गाँव में जबरदस्त बारिश हुई, आसपास के सारे झोपडे ओर कई लोग बारिश में बह गये। जो बचे थे उन्होने अपनी जान बचाने के लिए गाँव के एक उंचे टिल्लेपे आए मंदिर में सहारा लीया। मंदिर उचाई पर था सो उसे बारिश के बहते पानी से कम नुकसान हो रहा था, गाँव वाले वहा सही सलामत थे, जो भी बारिश के पानी में बहने से बचता वो मंदिर में सहारा लेने पहुँच जाता। ऐसे करते करते वहा काफी लोग इक्कठा होने लगे मंदिर मे अब लोगो के लिये जगह कम होने लगी। सो मंदिर के अंदर इक्कठा लोगो ने तय किया की अब मंदिर का मुख्य दरवाजा बंद किया जाय ताकी ओर लोग न आ सके, क्योकि अब वहां खडे रहने में भी दिक्कत हो रही थी। न जाने बारिश ओर कितने दिनो तक गिरने वाली थी? सब की राय ले कर मंदिर का मुख्य दरवाजा बंध किया गया, थोडी देर बाद मंदिर के दरवाजे को किसी ने जोरो से खटखटाया ओर उसने अंदर के लोगो को पुकारकर कहा “अरे भाई कोई मंदिर मे मुझे भी ले लो – मैं बुढा आदमी कहा जाऊंगा? मुझ बुढे पर रहम करो”। आवाज सून गावं के मुखिया का दिल पसीज गया ओर वो दरवाजा खोलने लगा।
तभी एक आदमी बोला “मुखिया जी मंदिर मे अब जगह ही कहाँ है? अगर इस तरीके से हम सब को अंदर लेने लगे तो हम अंदर हि दम घुट कर मर जायेंगे, अब जो बहार है उसे बहार ही रहने दो!”
मुखिया रुक गया। दरवाजा अभी भी वह बुढा खटखटा रहा था।
इस पर एक ने कहा “चाचाजी कही ओर जगह तलाश करो। मंदिर में अब जगह नही है।”
इस पर उस बुढे ने कहा “बेशर्मो थोडा तो खुदा का खोफ करो, जालीमो बाहर बारिश तो देखो, मैं अगर मर गया तो पाप तुम्हारे सर होगा। अरे बेरहमो मुझ बुढे पे तनिक तो दया करो। भगवान के मंदिर मे रुक कर शेतानो वाला काम कर रहे हो। भगवान तुम्हे कभी माफ नही करेगा, इश्वर का कहर तुम सबपर भी बरसेगा”।
यह सब सून मुखिया से रहा न गया ओर उसने दरवाजा खोल दिया, ओर बुढे को अंदर ले लिया। बुढे ने सब का शुक्रिया अदा किया ओर एक कोने मे दुबकर बेठ गया। थोडा वक्त शांती से गुजरा बाहर बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी कि तभी फिर कोई दरवाजा खटखटाने लगा ओर एक महिला की आवाज आई “मुझ गरीब औरत पे कोई रहम करो मुझे भी अंदर ले लो मैं बारिश मे भिग रही हू। मेरा घर पानी मे बह गया है”।
यह सब सून फिर से मुखिया का दिल पसीज गया ओर वो दरवाजा खोलने ही वाला था की तभी दुबकर बेठा वह बुढा बोला “मुखियाजी मंदिर मे अब जगह ही कहा है? अगर इस तरीके से हम सब को अंदर लेने लगे तो हम अंदर हि दम घुट कर मर जायेंगे, अब जो बाहर है उसे बाहर ही रहने दो!”
जीवन की सच्चाई: हमे तब तक ही ईश्वर का खोफ रहेता है जब तक हम बेबस है लाचार है! एक मकाम हासिल करने के बाद हम बेख़ौफ़ हो जाते हैं। तब हमें इश्वर का भी खोफ नही रहता!
Nice story
To be continue…..
Eagerly waiting for next one…
Must read second part after reading this i think story is complete but then I read second part! Really very good plot by writer Prashant Subhashchandra Salunke