इस विचार से उसके मन में दया का संचार हुआ और उसने दृढ़ निश्चय किया कि किसी भी प्रकार से गाडी को रोकना चाहिये।
रेलगाड़ी पहाड़ के एक तंग दर्रे से होकर निकलती थी और वँहा खड़े होने तक की जगह न थी। अब क्या किया जाय? उसी समय उसको यह सूझ हुई की एक ठेला पटरियों पर खड़ा करके लाल रोशनी दिखलायी जाय तो गाडी जरूर खड़ी हो जायगी। उसने ठेले को नाके पर ले जाकर खड़ा दिया और हाथ में लाल रोशनी लेकर उसपर खड़ा हो गया। इतने में रेलगाड़ी आ गयी। ड्राइवर ने उसे देखकर गाडी खड़ी करने की चेष्टा की; परंतु वह वेग में थी, इसीलिये रुक न सकी। लड़के ने खूब चिल्लाकर कहा – “पुल टूट गया हैं, पुल टूट गया हैं।” इतने में इंजन का धक्का ठेले के लगा और वह ठेला उस लड़के को कई फुट ऊँचे उछालकर पछाड़ खाकर गिरा और चूर-चूर हो गया। उसके बाद गाडी खड़ी हो गयी और ड्राइवर ने उस लड़के देखा तो उसे मरा हुआ पाया।
दूसरे दिन बड़े सम्मान के साथ पास के गाँव उसकी कब्र बनायी गयी और उसपर लिखा गया –
“कार्ल स्प्रिंगेल, उम्र वर्ष १४।”
वह बहादुरी से और परोपकार करता हुआ मरा। उसने अपने प्राण देकर दो सौ आदमियो के प्राण बचाये।
Very true
full with moral
teach a lesson for life.