“तो बेटा, दाढ़ी वाला बकरा और उसकी साथिन बकरी चरते-चरते गांव से भागकर घने जंगल में चले गए! वंहा उन्होंने दूसरे जानवरो से कहा कि अब हम तुम्हारी शरण में है! तुम्हारे साथ ही रहेंगे! जानवर उन्हें देखकर खुश हो गए कि चलो दो जानवर और बढ़ गए! जंगल के राजा शेर ने सभी जानवरो के कहा कि इन्हे कोई परेशानी न हो!”
“जंगल में वे कहाँ रहे?”
“बेटा, बकरा-बकरी ने एक गुफा खोज ली और वंहा आराम से रहने लगे! कुछ समय बाद बकरी ने दो सुन्दर मेमनों को जन्म दिया!”
“तब तो वे बहुत खुश हुए होंगे?”
“हाँ वे खुश तो हुए! लेकिन उनकी ख़ुशी बहुत दिनों तक नहीं टिकी रही!”
“क्यों अम्मा, क्यों?”
“उस जंगल में एक धूर्त सियार रहता था! वह शुरू से ही बकरे-बकरी पर नज़र रख रहा था! तगड़े बकरे से वह डरता था! पर उनकी गुफा के आस पास घूमता रहता और एक दिन जब बकरा-बकरी चरने गए तो वह गुफा में घुस कर मेमनों को उठा ले गया!
बकरी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया! उसने बकरे से कहा अब वह यहाँ नहीं रहेंगे! वापस गांव चलते है! ‘बकरे ने कहा, “वंहा भी तुम कब तक खैर मानोगी? वंहा भी तो जान नहीं बचेगी! यंहा कम से कम अपनी जानवर बिरादरी में तो रह रहे है!”
बकरी बोली, “मेरे बच्चे मारे गए! हाय मेरे बच्चे! खैर बकरे ने किसी तरह बकरी को समझा लिया और वे वंहा रहने लगे!”
“फिर?”
“बकरी ने दो मेमनों को जन्म दिया! गुफा में फिर चहल-पहल हो गई! लेकिन एक दिन फिर जब बकरी-बकरी चरने गए तो धूर्त सियार आया और मेमनों को उठा कर ले गया!”
बच्चा रोने लगा तो दादी ने कहा,
“नहीं रोते नहीं बेटा! अभी तो तुम्हे कहानी और सुननी है!”
“हाँ तो बेटा जब बकरा-बकरी गुफा में लौटे तो बच्चे न पाकर सर पटक-पटक कर रोने लगे! अब बकरे ने तय किया कि वह सियार को सबक सिखाएगा! बकरी रोते-रोते बेहोश हो गई! होश में आई तो बोली, “अब मुझे यंहा बिल्कुल नहीं रहना है! परन्तु बकरे ने उसे किसी तरह न जाने कि लिए मना लिया!
बकरी के आँशु थामे तो उसने कहा, “अच्छा गांव नहीं चलना है तो में आज से अपनी गुफा में और उसके आसपास ही रहूंगी! घर से दूर नहीं जाउंगी!”
बकरा मान गया!
“कुछ समय बाद बकरी ने फिर दो मेमनों को जन्म दिया!”
“वाह! अम्मा वाह!”
I like it.