होशियार बकरा

होशियार बकरा

“मेमनें पाकर बकरी बहुत खुश तो गई! अब वह गुफा में ही रहती थी! बच्चो से दूर उसे जाना ही नहीं था! वह मेमनों को पालने लगी!

“तो उस सियार का क्या हुआ?”

“होना क्या था बेटा, वह गुफा के आस-पास चक्कर लगाता मौके कि तलाश में रहता!”

“बकरे ने अपने नुकीले सींगो से उसे फाड़ा क्यों नहीं?”

“बेटा, बकरे ने उसका दूसरा ही इलाज़ किया जिससे सियार को नानी याद आ गई होगी!”

“बकरे ने क्या किया?”

“बकरे ने दिमाग से काम लिया और बकरी को समझया, “तू फिक्र मत कर प्यारी बकरी! मै सियार के होश उड़ा दूंगा! फिर उसने बकरी को समझाया, “ध्यान से सुन! तुझे वैसा ही करना है जैसा मै कहूँगा!”

“उसने क्या कहा अम्मा?”

“उसने कहा कि मै सुबह-सुबह सामने पहाड़ कि चोटी पर चला जाऊंगा! वंहा से अपने घर को देखता रहूँगा! ज्यों ही सियार दिखाई देगा मै जोर से तुम्हे आवाज़ दूंगा, “अरी ये बच्चे क्यों रो रहे है? तुम बच्चो के कान पर दाँतो से चिकोटी काट देना! तब बच्चे जोर-जोर से रोने लगेंगे! मै फिर पूछूंगा बच्चे क्यों रो रहे है! तब तुम कहना, भूख से बिलबिला रहे है! कह रहे है सियार का कलेजा खाएंगे! मै कहाँ से लाऊ सियार का कलेजा? बस इतना ही कहना है!”

“अम्मा, तो क्या उन्होंने ऐसा ही किया?”

“हाँ बिल्कुल किया! बकरा सुबह-सुबह उठकर सामने पहाड़ी पर चला गया! वंहा से जब उसने दबे पाँव गुफा के पास ताक लगाये सियार को देखा तो जोर से बकरी को आवाज़ दी, “अरी बकरी, ये बच्चे क्यों रो रहे है?”

बकरी ने वही बोल दिया, जो बकरे ने सिखाया था, “बच्चे भूख से बिलबिला रहे है, कह रहे है सियार का कलेजा खाएंगे! मै कहाँ से लाऊ सियार का कलेजा?”

बकरा वही से जोर से बोला, ‘मै देखता हू! एक सियार गुफा कि तरफ आ रहा है उसे पकड़ता हूँ, उसका कलेजा ले आऊंगा!”

“अच्छा अम्मा उसकी बात तो सियार ने सुन ली होगी?”

“हाँ बेटा, सियार ने उसकी बात सुनी तो उसके होश उड़ गए! वह डरकर उलटे पांव पीछे भागता ही चला गया!” भागते हुए सियार को देखकर कई जानवरो ने पूछा, “सियार भाई, सियार भाई, बदहवास होकर कहा भाग रहे हो?” सियार ने जवाब नही दिया! भागता ही रहा!

“फिर क्या हुआ, अम्मा?”

“फिर एक पेड़ की ऊँची दाल पर बैठे मोटे तगड़े लंगूर ने नीचे छलांग लगाई और सियार का रास्ता रोककर खड़ा हो गया! उसने भी सियार से पूछा, “इतनी तेजी से कहाँ भाग रहे हो? क्या बात है?”

सियार बोला, “मुझे जाने दो लंगूर भाई, मेरी जान खतरे में है!”

“जान खतरे में है? क्यों क्या हुआ?”

“…तो बेटा सियार ने डरते-कांपते हुआ वह लंगूर को बता दिया! लंगूर ने जो सुना उसे सुनकर वह दांत चमकाते हुए जोर से हसने लगा “हीं! हीं! हीं! हीं! और बोला, “तुम भी बड़े डरपोक हो सियार भाई! अरे, एक मामूली बकरे से डर गए?”

सियार बोला, “मामूली नहीं है वह बहुत तगड़ा है! लम्बी दाढ़ी है, नुकीले सींग है!”

“सींगो से क्या होता है?” लंगूर ने सियार को खूब समझया-बुझाया! उसका डर दूर किया व उससे कहा “मै हूँ न! डरो मत, चलो मेरे साथ बकरे की गुफा के पास! वह आएगा तो मैं भिड़ूंगा उससे!”

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One comment

  1. Rajneekant Choudhary

    I like it.