“देख दोस्त तुझे ये करना तो पड़ेगा ही।” सिगरेट को आगे करते हुए मीनेश ने दर्पण से कहा।
कबीर इंडस्ट्रीज के मालिक करण मल्होत्रा का एकलोता पुत्र दर्पण जो बचपन से पढ़ाई में होशियार था। आज अपने एक टपोरी दोस्त मीनेश के साथ बगीचे में बैठा था। मीनेश ने सिगरेट का कश लेकर हवा में धुवा उड़ाते हुए दर्पण से कहा “ले दोस्त तू भी इसका मजा लेकर देख?”
माँ बाप के संस्कारो में पला बढ़ा दर्पण इस बुरी लत से दूर ही रहना चाहता था। दर्पण ने मना कर दिया।
मीनेश को कई सालों से सिगरेट पिने की लत थी। उसका इस आदत के पीछे काफी खर्चा हो जाता। उसने मन ही मन सोचा की दर्पण को भी ये आदत लग जाती है। तो उसका खर्चा बच जाएगा। इसी सोच से वो उत्साहित हो गया। उसने अपनी मित्रता का दबाव डालते हुए दर्पण से कहा “देख दोस्त मुझे अकेले अकेले मज़ा नहीं आता, तुझे मेरा साथ देना ही पड़ेगा, तुझे ये करना तो पड़ेगा ही।”
उसने सिगरेट को आगे बढ़ाते हुए कहा “देख दर्पण अच्छी तरह समझ ले दोस्ती रखनी है तो सिगरेट पीनी ही पड़ेगी!”
दर्पण असंजस में था। कच्ची उम्र अच्छे या बुरे का अंतर समझ नहीं पा रही थी। दर्पण ने अपने दोस्त मीनेश की आँखों में देखा। फिर उसके हाथ की सिगरेट की और। कुछ सोच कर उसने मीनेश के हाथ से सिगरेट ले ली। शायद दोस्त की जिद के सामने माँ बाप के संस्कार कमजोर पड गए!
**********
इस बात को कई वर्ष बीत गए। मीनेश और दर्पण की दोस्ती अभी भी वैसी ही थी। अटूट, अजोड – पर ये क्या आज मीनेश की आँखों में आंसू थे। दर्पण ने उसके पास आकर उसके आंसुओं को पोछा। और बड़े प्यार से पूछा “क्या हुआ दोस्त?”
मीनेश ने रोते हुवे कहा “याद है दर्पण हमारे कोलेज में राजेश हुआ करता था।”
दर्पण ने कहा “हां तुम्हारा ख़ास दोस्त। क्या हुआ उसे?”
मीनेश ने कहा “वो केंसर की वजह से मर गया। उसके फेफड़े सड गए थे। सिगरेट के धुवे ने उसके जिस्म को राख में बदल दिया था दोस्त। और ये सब मेरी वजह से हुआ!
दर्पण: क्या उसे भी तुमने सिगरेट की आदत लगाईं थी?
मीनेश: ना मेरे दोस्त, याद है सालो पहेले मेने तुम्हारे सामने सिगरेट रख कर पूछा था। “देख दर्पण अच्छी तरह समझ ले दोस्ती रखनी है तो सिगरेट पीनी ही पड़ेगी!”
दर्पण: “हां, याद है”
मीनेश: बस उसी तरह राजेश ने मेरे सामने सिगरेट रख कहा था। “देख मीनेश अच्छी तरह समज ले दोस्ती रखनी है तो सिगरेट पीनी ही पड़ेगी! और उस दिन से मेने सिगरेट पीना शुरू किया था।”
दर्पण: “तो दोस्त उसमे तुम्हारा क्या दोष? वो अपनी गन्दी आदतों की वजह से मरा उसमे तुम्हारी क्या गलती?”
मीनेश: “गलती मेरी ही है दोस्त। काश उस दिन जिस तरह तुमने मेरे हाथो से सिगरेट ले कर कहा था की मीनेश फैसला तुम करो। तुम्हे क्या चुनना है सिगरेट या मेरी दोस्ती? काश वही बात मैंने राजेश से की होती तो आज मेरा दोस्त जिन्दा होता।”
मीनेश ने आगे कहा “मुझे आज भी तुम्हारे वो शब्द याद है दोस्त तुमने कहा था अपनी गन्दी आदतें अपने पास रखो दोस्तों में बाटते मत फिरो।”
आँख में आये आंसुओं को पोछते हुए मीनेश ने कहा “आज में चुस्त तंदरूस्त हूँ क्योकि मुझे तुम्हारे जेसा दोस्त मिला और राजेश तड़प तड़प के मरा क्योकि उसे मेरे जैसा दोस्त मिला!”
Good story