सूअर ने यह भी कहा कि इस मामले में एक गवाह है जो जल्दी ही दरबार में हाजिर होगा। राजा ने उनसे कुछ देर रुकने का आदेश दिया और किन्ही दुसरे राजकीय कार्यों में व्यस्त हो गया।
तभी दरबार की छत से वही चमगादड़ धड़ाम से नीचे गिरा और मारे ख़ुशी के नाचने लगा। राजा ने उसे दरबार में बदतमीजी न करने की ताकीद की।
चमगादड़ हाथ जोड़कर राजा से क्षमा – याचना करने लगा। “महाराज, दरबार की छत पर इन्तजार करते – करते मेरी आँख लग गई थी। नींद में एक सपना आया, पर बताते हुए डरता हूँ,” चमगादड़ भयभीत होकर बोला।
“घबराओ नही, बेखौफ होकर अपना सपना सुनाओ,” राजा ने कहा।
चमगादड़ बोलने लगा, “सपने में मैंने देखा कि मेरा विवाह राजकुमारी से हो रहा है।” फिर वह राजा से प्रार्थना करने लगा कि उसका सपना सच करने के लिए राजकुमारी की शादी उससे कर दी जाए।
जाहिर है, राजा सुनकर बहुत क्रोधित हुआ और चमगादड़ से बोला कि ऐसी वाहियात मांग न करे। “एक सपने के आधार पर ऐसी मांग करना तो सरासर बेवकूफी है। सपना सपना है, यथार्थ से उसका कोई लेना – देना नही है।”
सुनते ही चमगादड़ झट से बोला, “अगर यह सच है तो सपने के आधार पर बाघ सूअर को मारकर उसका मांस खाने की मांग कैसे कर सकता है?”
राजा ने चमगादड़ के तर्क को स्वीकार कर लिया और बाघ के प्रस्ताव को पूरी तरह ठुकरा दिया। उसने बाघ और सूअर को अलग – अलग रहने का भी आदेश दिया।