जीवन तो कभी भी नष्ट हो जाएगा-Life May End Any Moment
संत और सज्जन पुरुष जब ज्ञान को धारण करते है तो उनके मन में सम्मान का मोह और मद नष्ट हो जाता है पर वही ज्ञान दुष्टो को अहंकारी बना देता है| जिस प्रकार एकांत स्थान योिगयों को साधना के लिए प्रेिरत करता है वैसे कामी पुरुषों की काम भावना को बड़ा देता है| भारतीय अध्यात्म ज्ञान की यह खूबी है की वह ज्ञानी आदमी को महाज्ञानी बना देता है पर अगर दुष्ट हो तो वह उसे अहंकारी बना देता है| शयद यही कारण है की श्री भगवत गीता में भगवन श्री कृष्ण ने अपना ज्ञान केवल भक्तो में प्रचािरत करने के लिए कहा है| ‘यह जीवन नशवर है’ यह भाव जब सज्जन में आता है तब वह यही प्रयास करता है की वह उसका सदुपयोग करते हुए उसे परोपकार, ज्ञानार्जन और दान करते बिताये पर यही ज्ञान जब किसी दुष्ट को प्रास हो जाए तो वह हिंसा, लूट और भोग विलास में लगा देता है यह सोच कर की यह जीवन तो कभी न कभी नष्ट हो जाएगा| किथत साधूसंत भारतीय धर्म ग्रंथों से ज्ञान रट कर देश विदेश में घुमते हैं| अपने लिए धनार्जन करते हुए वे इस बात का ज्ञान नही करते की इस तरह सार्वजिनक रूप से ज्ञान चर्चा नही की जाती| अनेक योगशिक्षक भी भारत की इस विधा का प्रचार उन लोगों में कर थे हैं जो भारतीय अध्यात्म ज्ञान को समझते नही हैं| सच बात तो यह की योगासन करने से देश में एक स्फूर्ति आती है पर अगर ज्ञान नही है तो कोई भी भटक सकता है| देश के साथ मन की शुद्धि के लिए मंत्रािद जपने चािहए और विचारों की शुद्धता के लिए ज्ञान करना अिनवारये है|