एक समय की बात है, किसी गाव मे एक किसान रहता था। उसकी एक छोटी बेटी मेरी ओर एक बढ़िया नस्ल की कुतिया लूसी थी। लूसी हमेशा मेरी के साथ रहती। उसके साथ स्कूल मे जाती। शाम को उसके साथ खेलती। दोनो बहुत खुश थे।
एक दिन अचानक गांव मे बरसात आई। इन्द्रदेव जेसे कोपामायन हुवे थे। बादलो मे से पानी टपक नही बह रहा था। होना क्या था? गांव पानी के बहाव मे बह गया। उस बहाव मे मेरी ओर लूसी भी अलग हो गए। किसान ने अपनी बेटी मेरी के साथ लूसी को बहुत ढूंढा बहुत तलाशा पर सब व्यर्थ। लूसी आखिर उन्हें नही मिली।
इस बात को लगभग एक साल गुजर गया। मेरी अभी तक लूसी को भूली नहीं थी। वह स्कूल जाती तब भी उसे ऐसा लगता मानो वो उसी के साथ चल रही है। वो अकेले मे बतियाती जेसे लूसी से बातें कर रही हो। किसान उसे देख देख के मन मे दुखी होता। उसे अपनी बेटी की चिंता होने लगी। आखिर वह उसकी इकलोती बेटी थी। उसके पिताजी ने उसे बहुत मनाने की कोशिश की पर सब व्यर्थ! बच्चे की जिद के सामने वह लाचार था। किसी ने उसे कहा की अब बच्ची के लिए वैसी ही एक कुतिया लाकर दो तब वह मान जायेगी। लूसी की जगह दूसरी लूसी लाओ।
तब वह किसान फुट फुट कर रोने लगा ओर बोला “तुम जानत हो? उस दिन जब बरसात बहुत हुई थी। गांव मे पानी पानी हो गया था। मैं तो सामने के खेतो मे फंस गया था, लूसी एक पेड़ के तने पे चढ़ कर अपनी जान बचाने मे कामयाब हो गई थी। वह पेड़ का तना बहाव मे बह रहा था। ओर तब मेरी बिचारी अकेले गले तक आये पानी से बचने की कोशिश कर रही थी। पानी की सतह बढ़ने लगी। ओर अब मेरी के नाक तक पानी आ गया था। उसे सांस लेने मे तकलीफ होने लगी, मैं उसे बचाना चाहता था पर मैं खुद फंसा था। मेरी आंखो के सामने मे मेरी बेटी को मैं घुट घुट के मरते देख रहा था। मेंने भगवान से दो हाथ जोड़ के प्रार्थना की मेरी बेटी को बचाले। ओर शायद मेरी पुकार उसने सुन लि! मेरी के पेर के नीचे अचानक कोई पत्थर आ गया जिसपे पेर रख वह अपना सर बहार निकालने मे सफल रही। अब वह साँस ले सकती थी। मैं खुश हो गया! मेरी बच्ची सलामत थी!
सुबह जब पानी उतर गया। मैं जेसे तेसे मेरी के पास आया पूरी रात पानी से जंग लढ़ वो थक के बेहोश हो गई थी। मेंने उसे पानी से बहार निकाला ओर उसके पेरो के नीचे ऐसा क्या आया था, जिससे मेरी की जान बची थी! ये जानने के लिए मेंने पानी के अंदर देखा तो वहा मिट्टी मे दबी लूसी थी! लूसी ने मेरी की जान बचाने के लिए अपनी जान दे दि थी! मेंने वहीँ उसकी समाधि बनाई। अब तुम ही बतावो कहा मिलेगी मुझे ऐसी लूसी! बात रही मेरी की तो जब वह समझदार होगी अपने आप समझ जायेगी! किसान के आंखो से अभी भी आंसू टपक रहे थे।
बहुत बढ़िया कहानी
Nice..
Excellent story
Superb story
Really it’s very good one
Jordaar story
Maja aa gaya
Maja aa gaya…kya story he
very nice story