चमत्कार ऐसे नहीं होते

अंकुर सुबह से रो रहा था। उसका प्यारा काले रंग का मेंमना चम्पू सुबह से गायब था। पहले लगा वो यहा वहा कही चारा खाने गया होगा। पर दोपहर तक जब वो लोटा नही तब सभी चिंतत हो गए। वेसे मेमने का गायब होना कोई नई बात नही थी! आये दिन भेड बकरे उनके गाव से गायब होते रहते। पर ये मेंमना चम्पू की बात कुछ अलग थी। वो अंकुर की जान थी। छोटा था तब अंकुर को वो गाव के जंगल मे पड़ा मिला था। उसे वह वहा से उठा के लाया था। ओर तब से उसको एक बच्चे की तरह संभाल रहा था। चम्पू भी बड़ा प्यारा था। ओर साये की तरह अंकुर के पीछे पीछे घूमता रहता। अंकुर को चम्पू के बगैर न चलता ओर चम्पू को अंकुर के बगैर। श्याम हो गई पर अब तक मेमेंने का कोई पता नही लगा। दादा रामप्यारे ने आखिरकार अपनी छड़ी उठाके अंकुर के पिताजी केशव को कहा “चल उसे ढूढ़ने जाते है। आसपास किसी ने उसे लावारिस समझ कर पकड़ लिया होगा। अपने पास रख लिया होगा।

केशव ने तनिक नाराजगी से कहा “अब छोड़ियेन पिताजी ऐसा भी हो सकता है की कोई जंगली जानवर उसे उठा के ले गया हो! मैं बहुत थक गया हूँ।”

रामप्यारे ने गुस्से से कहा “चम्पू कोई मेमना नही था केशव। वो जान थी अंकुर की सुबह से रो रहा है वो उसके लिए और तु? अरे तेरी छोटी छोटी जिद्द के लिए मैं क्या कुछ नही करता था। याद है न तुझे?

केशव ने थोड़ा परेशान होकर कहा “ठीक है ठीक है चलो मैं आता हूँ उसे ढूँढने।”

रात तक बाप बेटे उस मेंमने को पागलो की तरह ढूढ़ने लगे। गाव का एक एक घर तलाश लिया। जंगल भी छान मारा पर चम्पू का कही पता नही!

रात बहुत हो गई थी रामप्यारे ओर केशव थके हारे एक कुवे के पास पानी पीने के लिए रुके। तब रामप्यारे ने केशव से कहा” केशव कल हम पास के गाव मे जाएंगे वहा चम्पू को ढूढेंगे।

केशव ने कहा “पिताजी कोई मतलब नही चम्पू अब कही नही मिलेगा।”

रामप्यारे “क्यो”

केशव “पिताजी वेसे तो मैं आपसे कहना नही चाहता था। डर लग रहा था कैसे कहु? आप नाराज मत होना… वो पिताजी आज कई महीनो से मुझे धंधे मे खोट जा रही थी। हालात बद से बदतर बनते जा रहे थे। ओर तब मुझे मेरे दोस्त ने पास के गाव मे आये एक तांत्रिक के बारे मे बताया जिसमे एक चमत्कारिक शक्ति है। वो सीधे भगवान से बात करता है। मैं उससे मिला। उस तांत्रिक ने कहा की बच्चा तेरा भाग्य बदल सकता है पर….

बड़े संकोच से राम प्यारे ने कहा: पर?

केशव ने नीचे गर्दन छुकाते कहा: पर उसने कहा एक काले बकरे की बलि देनी पड़ेगी

गुस्से से तंग चेहरे से रामप्यारे ने कहा “तो तूने क्या किया?”

केशव को अपने किये पे पछतावा साफ साफ दिखाई दे रहा था। उसने धीमी आवाज से कहा “पूरे गाव मे बेदाग काले रंग का मेमना चम्पू के अलावा दूसरा कोई नही था। मेंने कल रात उसे तांत्रिक के हवाले कर दिया।”

रामप्यारे ने अपने माथे पे हाथ रखते हुए कहा ” है भगवान ये तूने क्या किया? अपनी परेशानी को दूर करने के लिए तूने एक मासूम की बलि चढ़ा दी? अब अंकुर को हम क्या जवाब देंगे? क्या समझायेंगे उसे?”

केशव ने रोते हुवे कहा “पिताजी मे इतनी तकलीफ मेँ था की अच्छा बुरा कुछ सोच न सका ओर उस तांत्रिक ने भी यह दावा किया था की बलि से सब बुरी बला चली जायेगी।”

रामप्यारे ने कटाक्ष से हँसते कहा “बुरी बला का तो पता नही पर हमारा प्यारा चम्पू जरूर चला गया।”

केशव: पिताजी पर देखना अब सब दर्द दूर होंगे?

रामप्यारे: “पागलो जेसी बात मत कर उस तांत्रिक ने तेरे लिए कुछ नही किया सिर्फ और सिर्फ कल के लिए अपने भोजन की व्यवस्था की।”

केशव अब फुट फुट के रोने लगा। रामप्यारे ने उसके कंधो पे हाथ रखते हुवे कहा “केशव याद रख लालच की कोई सीमा नही और इंसान के लालच का फायदा उठाने वालो की भी कोई कमी नही! अब देखे तेरी लालच धंधे मे फायदा करवाता है। पर मेहनत नही करनी। शोर्टकर्ट से पैसा कमाना है। तेरे इस शोर्टकर्ट के चक्कर मे बिचारे चम्पू की जान गई। याद रख बेटे “मेहनत किये बिना भाग्य को आसान तरीके से चमकाना है!” इंसान की इसी कमजोरी का बेटे फायदा उठाने वाले हर तरफ घात लगाये बैठे है! श्रद्धा ओर अंधश्रद्धा मे यही फर्क है जितना की ज्ञानि ओर अज्ञानि मे! अंधश्रद्धा पे विश्वास करनेवाले सिर्फ ओर सिर्फ मूर्खता का ही प्रदर्शन करते है क्योकि वे पूरी तरह से झूठी ओर वाहियात बातो पे विश्वास करते है। कोई व्यक्ति मे देवी शक्ति है या सुपर नेचरल पावर है – यह मानना कितना सही है? तेरे कहने के अनुसार तेरा ये कथति बाबा जो माध्यम बनकर तेरी आम जिंदगी की समस्या दूर करेगा? तो चल बेटा आज से मैं ओर तुम सब काम धंधा छोड़कर यही बैठ जाते है, तंत्र मंत्र करने! पर बेटा मैं जानता हु मेरी ये बाते तुझे आसानी से हजम नही होगी क्योकि हम आज भी उस देश मे रहते है जहा लोग रात को चौराहे पर निम्बू मिर्ची ओर नारियल फेककर सड़क को गंदा करते है। ओर सुबह उसी सड़क से गुजरनेवाली पढ़ी लिखी माँ अपने बच्चे को बुरी बलाओ से बचने के लिए उससे दूर रहने को कहती है! बेटे धकियानुसी अन साइंटिफिक परंपराओ के भरोसे चमत्कार की आशा रखना ये तुम्हारी सबसे बड़ी गलती है। बस मुझे जो कहना था कह दिया अब अंकुर से क्या कहोगे वो तुम सोच लो। आगे से ऐसी मूर्खता न करना ज्यादा नही कहता क्योकि तुम्हारी जिंदगी है तुम जानो कैसे जीना है। ओर इस बूढ़े की एक बात गाठ बाधकर याद रखना चमत्कार यु बलि वगैरा देने से नही होते। सच्ची लगन ओर मेहनत से होते हैं।

~ प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

About Prashant Subhashchandra Salunke

कथाकार / कवी प्रशांत सुभाषचंद्र साळूंके का जन्म गुजरात के वडोदरा शहर में तारीख २९/०९/१९७९ को हुवा. वडोदरा के महाराजा सर सयाजीराव युनिवर्सिटी से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की. अभी ये वडोदरा के वॉर्ड २२ में भाजपा के अध्यक्ष है, इन्होने सोश्यल मिडिया पे क्रमश कहानी लिखने की एक अनोखी शुरुवात की.. सोश्यल मिडिया पे इनकी क्रमश कहानीयो में सुदामा, कातील हुं में?, कातील हुं में दुबारा?, सुदामा रिटर्न, हवेली, लाचार मां बाप, फिरसे हवेली मे, जन्मदिन, अहेसास, साया, पुण्यशाली, सोच ओर William seabrook के जीवन से प्रेरित कहानी “एक था लेखक” काफी चर्चित रही है. इसके अलवा बहोत सी छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानीया भी इन्होने सोश्यलमिडिया पे लिखी है, वडोदरा के कुछ भुले बिसरे जगहो की रूबरू मुलाकात ले कर उसकी रिपोर्ट भी इन्होने सोश्यल मिडिया पे रखी थी, जब ये ६ठी कक्षा में थे तब इनकी कहानी चंपक में प्रकाशित हुई थी, इनकी कहानी “सब पे दया भाव रखो” वडोदरा के एक mk advertisement ने अपनी प्रथम आवृती में प्रकाशित की थी, उसके बाद सुरत के साप्ताहिक वर्तमानपत्र जागृती अभियान में इनकी प्रेरणादायी कहानिया हार्ट्स बिट्स नामक कोलम में प्रकाशित होनी शुरू हुई, वडोदरा के आजाद समाचार में इनकी कहानी हर बुधवार को प्रकाशित होती है, वडोदरा के क्राईम डिविजन मासिक में क्राईम आधारित कहानिया प्रकाशित होती है, 4to40.com पे उनकी अब तक प्रकाशित कहानिया बेटी का भाग्य, सेवा परमो धर्म, आजादी, अफसोस, चमत्कार ऐसे नही होते ओर मेरी लुसी है. लेखन के अलावा ये "आम्ही नाट्य मंच वडोदरा" से भी जुडे है, जिसमें "ते हुं नथी" तथा "नट सम्राट" जेसे नाटको में भी काम किया है, इनका कहेना है "जेसे शिल्पी पत्थर में मूर्ती तलाशता है, वैसे ही एक लेखक अपनी आसपास होने वाली घटनाओ में कहानी तलाशता है", इनका इमेल आईडी है prashbjp22@gmail.com, आप फेसबुक पे भी इनसे जुड सकते है.

Check Also

Blue Christmas Day: Date, History, Significance, Observance, Facts

Blue Christmas Day: Date, History, Significance, Observance, Facts

Blue Christmas: Blue Christmas in the Western Christian tradition, is a day in the Advent …

7 comments

  1. Nice inspirational story

  2. Nice story

  3. बहोत ही प्रेरणादायीं कहानी

  4. superb story

  5. So knowledgeable story….

  6. So knowledgeable story…. good one

  7. Maja aa gaya