इस बार रामफल ने कहा की इसको चमकाकर काम नहीं चलेगा, तो सुनार ने कहा की आप कहो तो इसको चमका दूँ लेकिन पता चल जायेगा की यह पुरानी हँसुली है। कहीं कहीं से सोने का पर्त उखड़ता सा दिखाई दे रहा था। सुनार ने साफ़ साफ़ बता दिया था की यह हँसुली पुरानी ही लगेगी।
अब उसका विवाह का पूरा हिसाब बढ़ता नज़र आ रहा था। इसलिए उसने सुनार से नई हँसुली बनाने के लिए कह दिया। जब वह नई हँसुली लेने आया, तो उसे बहुत रूपये देने पड़े। वजन हँसुली का उतना हे था फिर भी कुछ सोना ताम्बे के बदले लगाना पड़ा था। बनवाई और हँसुली में लगे ताम्बे के भी पैसे सोने के भाव् में ही लगा लिए गए थे।
रामफल पैसे तो पुरे देकर हँसुली ले आया, लेकिन हिसाब उसकी समझ में नहीं आया। वह गाँव आकर सबसे पहले साहूकार के पास गया। साहूकार से उसकी अच्छी जान पहचान थी। उसने साहूकार को पर्ची दिखाकर हिसाब पूछा। साहूकार ने ब्योरेवार रामफल को समझाया। और कहा की दो तीन बार हँसुली ठीक कराने में तो हँसुली का पूरा सोना सुनार का हो जाता है। वैसे तो सोना सुनार का ही होता है। वह समय समय पर थोड़ा थोड़ा करके सोना लेता रहता है और जो तुम पैसा देते हो, उसका नया सोना लगता रहता है। यह मानकर चलिए की कहने को हँसुली तुम्हारी है लेकिन इसका पूरा सोना सुनार का है जो समय समय पर ताम्बे के रूप में काटता रहता है।
साहूकार की बात सुनकर रामफल दंग रह गया। साहूकार के चाचा वहीँ बैठे थे। उन्होंने कहा, “रामफल भाई, ‘सोना सुनार का, गहना संसार का ‘ होता है।”