सुजाता की खीर और बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति: बुद्ध पूर्णिमा

सुजाता और भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति: बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिणा: सुजाता की खीर और भगवान बुद्ध को ‘ज्ञान प्राप्ति’

ध्यान मुद्रा में पीपल के पेड़ के नीचे बैठे भगवान बुद्ध के चरणों के पास बैठी महिला वही सुजाता है जिसने भगवान बुद्ध को वैशाख पूर्णिमा के दिन खौर खिलाई थी। इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिसकी तलाश में वह वर्षों से भटक रहे थे, शरीर को यातनाएं दे रहे थे, उपवास रख रहे थे।

सुजाता को हम केवल उस महिला के रूप में जानते हैं, जिसने बुद्ध को खीर खिलाई थी। हालांकि, उनका योगदान बस इतना भर ही नहीं है। सुजाता की खीर ने भगवान बुद्ध के जीवन को नई दिशा दी।

अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर तलाशने के लिए पली यशोधरा और पुत्र राहुल को छोड़ राजकुमार सिद्धार्थ से बुद्ध एक भिक्षु बन गए थे। कठोर तप और हठयोग के कारण शरीर से दुर्बल हो चुके बुद्ध को उस खीर से जीवन के प्रति संतुलित नजरिया मिला। तभी तो उन्होंने मध्यम मार्ग चुना यानी जीवनमयी संगीत के लिए वीणा के तारों को इतना भी न कसो कि वे टूट जाएं और इतना भी ढीला न छोड़ो कि उनसे कोई स्वर न निकले।

कौन थी सुजाता: सुजाता और भगवान बुद्ध

बौद्ध ग्रंथों से लेकर सांची और भरहुत स्तूप के तोरण और दीवारों पर उकेरी गई बुद्ध की जातक कथाओं में स्थान पाने वाली सुजाता को बस हम इतना ही जानते हैं कि उसने जिस दिन भगवान बुद्ध को खौर खिलाई थी उसी वैशाख पूर्णिमा की रात उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

बौद्ध कथाओं और ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सुजाता बोधगया के पास सेनानी गांव के ग्राम प्रधान अनाथपिण्डिका की पुत्र वधू थी। स्वभाव से उहंड, चंचल और अहंकारी स्वभाव वाली सुजाता ने मनौती मांग रखी थी कि पुत्र होने पर वह गांव के वृक्ष देवता को खीर चढ़ाएगी। पुत्र प्राप्ति के बाद उसने अपनी दासी पूर्णा को उस पीपल वृक्ष और उसके आसपास सफाई के लिए भेजा जिसके नीचे बुद्ध ध्यान मुद्रा में बैठे थे।

पूर्णा बुद्ध को वृक्ष देवता समझ बैठी और दौड़ती हुई अपनी स्वामिनी को बुलाने गई। सुजाता ने वहां आकर बुद्ध को सोने के कटोरे में खीर अर्पण कर कहा, “जैसे मेरी पूरी हुई, आपकी भी मनोकामना पूर्ण हो।”

हठयोग पर बैठे बुद्ध ने उरुवेला नदी में स्नान के बाद खौर ग्रहण कर 49 दिन बाद अपना उपवास तोड़ा। उसी दिन बुद्ध को लगा कि अति किसी भी वस्तु की ठीक नहीं।

बुद्ध के उपदेश ने बदल दिया सुजाता का स्वभाव

बोड साहित्य के अनुसार ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध एक दिन सुजाता के घर गए। वहां झगड़ा हो रहा था। सुजाता के ससुर ने बताया कि उनकी बहू झगड़ालू और अहंकारी है। वह किसी का कहा नहीं मानती। बुद्ध ने सुजाता को बुलाकर उसे सात प्रकार को पत्नियों के किस्से बताकर भूल का बोध कराया। बोध होते ही सुजाता ने सबसे क्षमा मांगी।

बौद्ध भिक्षुणी बन गई सुजाता

बौद्ध ग्रंथों के अनुसार वह भगवान बुद्ध और उनके उपदेशों से इतना प्रभावित हुई की अपने जीवन के उत्तार्द्ध में बौद्ध भिक्षुणी बन गई। ऐतिहासिक साक्ष्यों और बौद्ध साहित्यों के अनुसार भिक्षुणी बनी सुजाता ने भगवान बुद्ध की मौजूदगी में वैशाली के निकट एक बौद्ध विहार में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। बौद्ध ग्रन्थ ‘थेरीगाथा’ में बौद्ध-भिक्षुणियों के साथ भिक्षुणी सुजाता का भी उल्लेख आता है।

Check Also

Crazxy: 2025 Hindi Crime Thriller Film, Trailer, Songs, Review

Crazxy: 2025 Hindi Crime Thriller Film, Trailer, Songs, Review

Movie Name: Crazxy Directed by: Girish Kohli Starring: Sohum Shah, Tinnu Anand Genre: Thriller, Drama Running Time: – …