इनका मकसद इन्हें बॉक्सिंग के कठिन खेल के लिए तैयार करना है ताकि इनका शरीर इस खेल के लिए हर तरह से शक्तिशाली हो जाए।
गर्मी के मौसम में तो खिलाड़ियों के पसीने की गिरती बूंदो से फर्श को भीगते देर नहीं लगती है।
हरियाणा का भिवानी यूं तो देश का एक आम-सा कस्बा ही प्रतीत है जहां अभी आधुनिकता ने ज्यादा पैर नहीं पसारे है। टूंटी सड़कों की यहां भी कोई कमी नहीं है परंतु हाल के वर्षो में इस कस्बे ने केवल देश ही नहीं, सम्पूर्ण उपमहाद्वीप के ‘बॉक्सिंग कैपिटन‘ यानी ‘मुक्केबाजी की राजधानी‘ के रूप में ख्याति अर्जित कर ली है।
यहाँ हर ओर जॉगिंग करते लोग दिखाई देते है। कस्बे में कम से कम 8 बॉक्सिंग क्लब सक्रिय हैं। बीजिंग ओलिम्पिक्स में तीनों भारतीय क्वार्टर फाइनलिस्ट खिलाडी भिवानी से ही थे। शुरुआत में यहाँ केवल लड़के ही पेशेवर बॉक्सिंग खिलाडी बनना चाहते थे परंतु अब लड़कियां भी बढ़-चढ़ कर इस खेल में रूचि ले रही है।
गत वर्ष मई में सविता गोतरा (50 किलोग्राम वर्ग) तथा साक्षी धनना (54 किलोग्राम वर्ग) ने ताइपेई में जूनियर बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में स्वर्ग पदक जीते। रजत पदक पर कस्बे की ही सोनिया गोथरा (48 किलोग्राम वर्ग) ने कब्जा किया।