देश में रोजगार की किल्ल्त तथा सरकारी नौकरी पाने के लिए भ्रष्टचार का सामना करने की दिक्क़ते भी है। हालांकि, अपने बच्चो को बॉक्सिंग सीखने के लिए भी परिवारो को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमे क्लब की फीस तथा उन विशेष जूतो का खर्च शामिल है जिन्हे लगातार अभ्यास की वजह से हर दो महीने में बदलना पड़ता है। इसके अलावा लड़कियों के लिए संतुलित आहार भी आवश्यक है परंतु अक्सर उन्हें दाल-रोटी से ही गुजारा करना पड़ता है। कई माता-पिता जरूर उनके लिए कभी- कभार घर से दूध की बोतल भेज देते हैं। वहीं 17 वर्षीय रजनी सिंह के अनुसार बॉक्सिंग से उन्हें कई तरह से फायदा हुआ है। पहले तो इसे सीखने से उनका आत्मविश्वास कई गुणा बढ़ गया है। वह खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करती है क्योंकि उन्हें पूरा विश्वास है कि अब कैसी भी परिस्तिथि में आत्मरक्षा कर सकती है।
17 वर्षीय बंटी पंघाल भी इस बात से सहमत है। वह कहती है, “क्लब में हम 13 लड़कियां है जो एक-दूसरे की मदद करती है। एक साथ हम बहुत मजबूत है।” देश भर में महिलाओ के साथ होने वाले यौन शोषण सहित विभिन्न अपराधो की खबरों के बीच जाहिर है की बॉक्सिंग इन लड़कियों के लिए एक बड़ी सुरक्षा का साधन है।
क्लब में बॉक्सिंग सीख रही 22 वर्षीय प्रियंका चौधरी एक उदाहरण देते हुए बताती है “एक दिन हम लड़कियां साइकिल पर जा रही थी जब एक लड़का हमारी ओर आकर भद्दी बातें करने लगा। उसे लगा की आम लड़कियों की तरह हम भी कुछ नही करेंगी लेकिन हमने उसे अच्छा सबक सिखाया। पहले उसकी जम कर पिटाई की फिर उसे पुलिस स्टेशन ले गई।”