Pongal Greetings

Pongal Greetings: Tamil Nadu Hindu Harvesting Festival Cards

Pongal Greetings For Students And Children: It’s Pongal! Decorate your house with Kolam, cook the yummy Pongal and pray for the long life of your loved ones. Send warm digital greeting cards from our site to wish your near and dear ones plentiful harvest, peace and joy.

Pongal Greetings

भारत के अनेक राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग रूपों में मनाए जाने की परंपरा है। दक्षिण भारत के राज्य केरल, कर्नाटक तमिलनाडु, आंध प्रदेश में इस पर्व को पोंगल के नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में धान की फसल समेटने के बाद लोग खुशी प्रकट करते हैं और नई फसल के अच्छे होने की भगवान से प्रार्थना करते हैं। तमिल हिंदू इस त्योहार को चार दिन तक मनाते हैं। पाोंगल पर्व का इतिहास भी हजारों साल पुराना है। आइए जानते हैं पोंगल का महत्व और कुछ खास बातों के बारे में…

चार दिन तक मनाया जाता है यह उत्सवचार दिन मनाए जाने वाले पोंगल को हर दिन अलग-अलग नाम से जाना जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल कहते हैं। भोगी पोंगल से पोंगल उत्सव की शुरुआत होती है। पोंगल का त्योहार कृषि एवं फसलों से संबंधित है और इनसे संबंधित देवी-देवताओं की ही पूजा की जाती है। पोंगल की तुलना नवान्न से की जाती है, जो कि फसल कटाई का उत्सव होता है।

सूर्य देव का प्रशाद होता है तैयार

दक्षिण भारत के अलावा इस पर्व को श्रीलंका, मॉरीशस, अमेरिका, कनाड़ा और सिंगापुर में भी विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। पोंगल तमिल महीने की पहली तारीख होती है। पोंगल का तमिल में अर्थ है उफान या फिर विप्लव। भगवान सूर्यदेव का जो प्रशाद तैयार किया जाता है, उसे पगल कहते हैं। इसलिए इस पर्व का नाम पोंगल है।

नववर्ष की होती है शुरुआत

पोंगल के दिन से ही तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है और इस दिन लोग अपने घरों में फूलों और आम के पत्तों से सजाते हैं। साथ ही मुख्य द्वारा बड़ी रंगोली भी मनाते हैं। इस दिन नए वस्त्र पहनते हैं और एक-दूसरे के घर मिठाई भिजवाते हैं। रात के समय सामूहिक भोजन का आयोजन होता है और एक-दूसरे को पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं।

जलीकट्टू का होता है आयोजन

पोंगल के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है और इंद्र देव को समर्पित होता है। दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है और खीर बनाई जाती है। तीसरे दिन मट्टू पोंगल को पशुधन की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मट्टू पोंगल भगवान शिव का बैल है। चौथे दिन पक्षियों को विशेषकर कौए को दाना खिलाया जाता है और रिश्तेदारों और मित्रों के यहां घूमने के लिए जाते हैं। इस दौरान जलीकट्टू का भी आयोजन किया जाता है।

पोंगल की पहली कथा

पोंगल की पहली कथा है यह है कि भगवान शिव अपने बैल को बसवा नाम से पृथ्वी पर भेजते हैं और मनुष्यों को धरती पर संदेश देने के लिए कहते हैं कि मनुष्यों से कहो कि हर रोज तेल मालिश करने के बाद स्नान करें और फिर भोजन करें। लेकिन गलती से नंदी ने संदेश गलत दे दिया कि एक माह में केवल एक दिन ही भोजन करें। बसवा के इस व्यवहार से भगवान शिव बहुत नाराज होते हैं और धरती पर मनुष्यों की कृषि सहायता के लिए भेज देते हैं। जिसके बाद बैलों की मदद से फसल अच्छी होती हैं। इस कारण पोंगल का पर्व मनाया जाता है।

पोंगल की दूसरी कथा

पोंगल से दूसरी कथा मदुरै के पति-पत्नी कण्णगी और कोवलन से जुड़ी है। एकबार कोवलन पायल बेचने के लिए सुनार के पास गया। सुनार राजा को बताता है कि कोवलन जो पायल बेचने आया है, वह रानी की पायल से मिलती-जुलती है। राजा ने बिना किसी जांच के कोवलन को फांसी दे दी। क्रोध में आकर कण्णगी ने शिव की तपस्या की और राजा के साथ-साथ राज्य को भी नष्ट करने का वरदान मांगा। जब राज्य की जनता को यह पता चला तो वहां की महिलाओं ने किलिल्यार नदी के किनारे काली माता की पूजा की और राज्य की रक्षा के लिए कण्णगी के अंदर दया जगाने की प्रार्थना की। महिलाओं की साधना से प्रसन्न माता काली ने कण्णगी के अदर दया भावना जाग्रत की, जिससे राजा और राज्य की रक्षा हुई। तब से पोंगल के अंतिम दिन काली मंदिर में यह पर्व मनाया जाता है।

Check Also

Karwa Chauth Greetings

Karwa Chauth Greetings: करवा चौथ त्यौहार के बधाई संदेश, शुभकामनाएं

Karwa Chauth Greetings: Karwa Chauth e-Cards – Karva Chauth (करवा चौथ) is a one-day festival …