बेल पत्र के औषधीय प्रयोग-Medicinal properties of Bilva (Aegle Marmelos)
बिल्व, बेल या बेलपत्थर, भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। इसे रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है। इसके अन्य नाम हैं-शाण्डिल्रू (पीड़ा निवारक), श्री फल, सदाफल इत्यादि। इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है तथा सूखा गूदा बेलगिरी। बेल के वृक्ष सारे भारत में, विशेषतः हिमालय की तराई में पाये जाते हैं।
- बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है।
- मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है।
- इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है।
- इसके पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है।
- बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है। बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से ; लेप करने से लाभ होता है।
- इसके पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है।
- बेल पत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले , शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण को १०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे , सुबह छानकर पियें। सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है। शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है।