इस चित्र दुनिया की पहली मोटर रेस का दृश्य है। 1894 में पैरिस से रोईन बीच हुई इस रेस में बैंज 3 एच. पी. कारों ने हिस्सा लिया था। बैंज एंड साईं कम्पनी की ओर से उनकी सिंगल सिलैंडर वाली कार को एमिली रोजर चला रहे थे।
मर्सीडीज सिम्पलैक्स 40 एच. पी. 1902 की अंतिम बची कार है। यह जर्मनी के शहर स्टुटगार्ड स्थित मर्सीडीज बैंज क्लासिक म्यूजियम में प्रदर्शित है। यह लगभग मर्सिडीज की पहली कार जैसी ही दिखाई देती है।
1930 में बनी मर्सीडीज बैंज-710 एस.एस.के जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह बहादुर के वंश के पास थी। मर्सीडीज बैंज क्लासिक संग्रहालय ने इसे फिर से ठीक-ठाक किया है।
शायद ही मोटर रेसिंग का नाजियों से ज्यादा कोई और शौकीन रहा हो। डैमलर बैंज ए.जी. कम्पनी के डा. हांस निबेल जर्मनी के तानाशाह हिटलर को डब्ल्यू. 25 ग्रैंड प्रिक्स नामक कार के बारे में बताते हुए। यह तस्वीर 1935 में बर्लिन की इंटरनैशनल ऑटोमोबाइल प्रदर्शनी की है।
स्विट्जरलैंड, युगोस्लाविया, तुर्की, लेबनान तथा पाकिस्तान से गुजरने वाली टाटा-मर्सिडीज-बैंज रैली में ट्रकों को इस शर्त पर हिस्सा लेने दिया गया था कि वे रैली में भाग ले रही छोटी कारों का सामान तथा स्पेयर पार्ट्स साथ ले जांएगे।