बाल दिवस का उद्देश्य
बाल दिवस देश के बच्चों को समर्पित है। बच्चे देश के भविष्य हैं, अतः इनके विकास के बारे में चिंतन करना तथा कुछ ठोस प्रयास करना देश की जिम्मेदारी है।
देश का समुचित विकास बच्चों के विकास के बिना संभव नहीं है। बच्चों को शिक्षित बनाने, बाल श्रम पर अंकुश लगाने, उनके पोषण का उचित ध्यान रखने तथा उनके चारित्रिक विकास के लिए प्रयासरत रहने से बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है। बाल दिवस बच्चों के कल्याण की दिशा में उचित प्रयास करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
बच्चे बाल दिवस की तैयारियों में हफ्तों से जुटे होते हैं। वे नाटक खेलने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियां करते हैं। स्कूलों में इसके लिए बच्चों से अभ्यास कराया जाता है। वे स्कूल को सजाते है क्योंकि स्कूल उनके लिए विद्या का मंदिर होता है।
इस तरह बाल दिवस विभिन्न प्रकार की हलचलों से परिपूर्ण होता है। इस दिन बच्चे अपने अपने प्यारे चाचा नेहरू को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। पं. नेहरू की समाधि ‘शांतिवन’ पर जाकर नेतागण और बच्चे उन्हें श्रधांजलि देते हैं। वे नेहरू जी के आदर्शों का स्मरण करते हैं।
अलग-अलग देशों अलग दिन मनाया जाता है बाल दिवस
14 नवम्बर भारत में बाल दिवस रूप में मनाया जाता है लेकिन बाल दिवस दुनिया भर में अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है।
कैसे हुई इसकी शुरुआत?
असल में बाल दिवस की नींव 1925 में रखी गई थी, जब बच्चों के कल्याण पर विश्व कांफ्रेंस में बाल दिवस मनाने की घोषणा हुई। 1954 में दुनिया भर में इसे मान्यता मिली। संयुक्त राष्ट्र ने दिन 20 नवम्बर के लिए तय किया लेकिन अलग-अलग देशों में यह अलग दिन मनाया जाता है। कुछ देश 20 नवम्बर को ही बाल दिवस मनाते हैं। 1950 से बाल संरक्षण दिवस यानी 1 जून भी कई देशों में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।