अप्रैल फूल डे का इतिहास

अप्रैल फूल डे का इतिहास और प्रचलित कहानियां

यूं तो हर रोज आप अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते होंगे, उन्हें परेशान करते होंगे, जोक मारते होंगे लेकिन जैसे कि वैलेंटाइन डे को प्रेम दिवस कहा जाता है और सभी प्रेमी-प्रेमिका इस दिन का इंतजार करते हैं ऐसे ही कुछ खास बात है अप्रैल फूल डे में भी। पहली अप्रैल यानि कि अप्रैल फूल डे जल्द ही आने वाला है और इसके साथ ही आने वाला है शरारतों भरा वो दिन, जब आपको अपने दोस्तों को परेशान करने का लाइसेंस मिल जाएगा। अपने करीबियों को सताने का गोल्डन चांस। यह सब तो आप करेंगे ही लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये दिन मनाया क्यों जाता है, इस दिन का इतिहास क्या है? नहीं मालूम! कोई बात नहीं हम आपको बताते हैं कि आखिर 1 अप्रैल इतनी अहमियत रखती क्यों है?

अप्रैल फूल डे का इतिहास

दरअसल अप्रैल फूल का इतिहास का बहुत ही पुराना है। 1392 में चॉसर के कैंटबरी टेल्स में इसका इतिहास पाया जाता है। ब्रिटिश लेखक चॉसर की किताब द कैंटरबरी टेल्स में कैंटरबरी नाम के एक कस्बे का जिक्र किया गया है। इसमें इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा की गई थी जिसे वहां के लोग सही मान बैठे और मूर्ख बन गए तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है।

हालांकि ऐसे लोग भी कम नहीं हैं जो यह मानते हैं कि इसकी शुरुआत 17वीं सदी में हुई थी। इसके पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है। 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों में एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था, जिसमें हर नया वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होता था। सन 1564 में वहां के राजा चा‌र्ल्स नवम ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया। इस नए कैलेंडर में 1 जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। अधिकतर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इन्कार कर दिया था। वह पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मजाक करने और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए और तभी से आज तक पहली अप्रैल को लोग फूल्स डे के रूप में मनाते हैं।

इस दिन को लेकर कई और कहानियां भी प्रचलित हैं, लेकिन हर कथा का मूल उद्देश्य है पूरे दिन को मनोरंजन के साथ व्यतीत करना है। बहुत पहले यूनान में मोक्सर नामक एक मजाकिया राजा था। एक दिन उसने स्वप्न में देखा कि किसी चींटी ने उसे जिंदा निगल लिया है। सुबह उसकी नींद टूटी तो स्वप्न की बात पर वह जोर-जोर से हंसने लगा। रानी ने हंसने का कारण पूछा तो उसने बताया कि रात मैंने सपने में देखा कि एक चींटी ने मुझे जिंदा निगल लिया है। सुन कर रानी भी हंसने लगी। तभी एक ज्योतिष ने आकर कहा, महाराज इस स्वप्न का अर्थ है, आज का दिन आप हंसी-मजाक व ठिठोली के साथ व्यतीत करें। उस दिन अप्रैल महीने की पहली तारीख थी। बस तब से लगातार एक हंसी-मजाक भरा दिन हर वर्ष मनाया जाने लगा।

एक अन्य लोक कथा के अनुसार एक अप्सरा ने किसान से दोस्ती की और कहा – यदि तुम एक मटकी भर पानी एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी। मेहनतकश किसान ने तुरंत पानी से भरा मटका उठाया और पी गया। जब उसने वरदान वाली बात दोहराई तो अप्सरा बोली- तुम बहुत भोले-भाले हो, आज से तुम्हें मैं यह वरदान देती हूं कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच खूब हंसी-मजाक करोगे। अप्सरा का वरदान पाकर किसान ने लोगों को बहुत हंसाया। इसी कारण ही एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम अप्रैल फूल के नाम से पुकारते हैं।

बहुत पहले चीन में सनन्ती नामक एक संत थे, जिनकी दाढ़ी जमीन तक लम्बी थी। एक दिन उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई तो वे बचाओ-बचाओ कह कर उछलने लगे। उन्हें इस तरह उछलते देख कर बच्चे जोर-जोर से हंसने लगे। तभी संत ने कहा, मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के ही दिन खूब हंसोगे, इतना कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिए।

Check Also

Minorities Rights Day in India: 18 December

Minorities Rights Day in India: Date, History, Theme, Significance

Minorities Rights Day in India is a very significant day in order to promote and …