Kamada Ekadashi Vrat, Date, Legends

Kamada Ekadashi Vrat, Date, Legends

Kamada Ekadashi refers to the eleventh day of Shukla and Krishna Paksha of every Hindu month according to the Hindu Lunar Calendar. On these pious days the devotees worship Lord Vishnu, and they possess a strong faith that by praying and fasting on these two auspicious days, Lord would be pleased and all the sins of their lives will be pardoned, thereby providing them with a peaceful life full of happiness.

Kamada Ekadashi Date in India:

  • 2023: 01 April, 2023 (Saturday)
  • 2024: 19 April, 2024 (Friday)
  • 2025: 08 April, 2025 (Tuesday)

Kamada Ekadashi: Celebrations

On the eve of Kamada Ekadashi, devotees eat ‘Saatvik‘ food, meaning food that is simple and completely vegetarian. People of Hindu religion chant, recite and sing songs throughout the night, praising the Lord. They believe that Lord would respond to their prayers and bring peace and harmony in their lives by removing all the sins. Kamada Ekadashi is the second Ekadashi that falls during the Shukla Paksha of the first month of the Hindu Calendar.

Kamada Ekadashi: Fasting

The devotees keep fast for the entire day and are forbidden to take rice. They sing prayers and do ‘Japa’ and devote the entire day in the name of Lord Vishnu. The Hindu society especially the Vaishavas celebrates this festival. Two ekadashis occur in one month considering the position of the moon. This is considered to be an auspicious time and if one wishes to commence some new event, then this is the perfect day. According to the Hindu calendar, it is a lucky time to start with. Though it is celebrated by Hindus across the country, it is mainly celebrated in South India in cities like Bangalore.

The fast is typical, and is basically a fast wherein one doesn’t consumes even water until next morning.

Special yajnas, speeches and discourses are held at every Vishnu temple across the nation. Observing the Ekadashi fast is set above all religious considerations.

Legends & Significance:

According to various Puranas, fasting is considered mandatory during both types of Ekadashi. It is believed that on this day Lord Vishnu had opened the doors of ‘Vaikunthan’ and two demons entered through it. Those demons requested for a boon that the gate of Vaikunth should also be opened for all those who will chant his prayers on this pious day. It is said that those who will worship ekadashi would liberate themselves from the cycle of life and death. And their present lives will overtake all the good deeds over all their bad ones.

जानिए कैसे की जाती है इस दिन पूजा

भगवान विष्‍णु के पूजापाठ और व्रत से जुड़ी सबसे महत्‍वपूर्ण तिथि एकादशी मानी जाती है और साल में 24 एकादशी पड़ती है। वहीं अगर किसी साल मलमास या फिर अध‍िकमास लगता है तो इनकी संख्‍या बढ़ जाती है। चैत्र मास के शुक्‍ल पक्ष में जो एकादशी पड़ती है, उसे कामदा एकादशी कहते हैं और ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन जो भी व्रत करता है उस पर भगवान विष्‍णु की विशेष कृपा होती है और इस व्रत को करने से समस्‍त पापों का नाश हो जाता है। विष्‍णु पुराण में बताया गया है कि इस व्रत को करने से हजारों वर्ष की तपस्‍या के बराबर फल प्राप्‍त होता है। आइए आपको बताते हैं कैसे की जाती है इस दिन पूजा और इस क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं।

बेहद शुभ योग में पड़ रही है कामदा एकादशी

इस बार की कामदा एकादशी और भी खास मानी जा रही है क्‍योंकि इस दिन वृद्धि योग और ध्रुव योग जैसे दो शुभ योग हैं। इन शुभ योग के बीच एकादशी का व्रत करना बेहद फलदायी माना जाता है। पंचांग के अनुसार, दोपहर के 2 बजकर 40 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा और उसके बाद ध्रुव योग लग जाएगा। इन दोनों ही योग को बेहद शुभ माना जाता है और इस दिन मांगल‍िक कार्य करना उचित होता है।

ऐसे रखें कामदा एकादशी का व्रत

कामदा एकादशी के व्रत की शुरुआत सूर्य देवता को प्रणाम करने के साथ करें। सुबह स्‍नान करके स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और सबसे पहले सूर्य को अर्घ्‍य दें। उसके बाद पूजास्‍थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर श्रीहरि की मूर्ति को स्‍थापित करें और हाथ में जल लेकर मन की मन व्रत करने का संकल्‍प लें। उसके बाद प्रणाम करके भगवान को हल्‍दी, अक्षत, चंदन, फल और फूल चढ़ाएं और रोली से टीका करके पंचामृत अर्पित करें। इसके साथ एकादशी के दिन प्रभु को तुलसी दल भी चढ़ाएं। इसके बाद एकादशी की कथा पढ़कर आरती करें और प्रभु को भोग अर्पित करें। याद रखें एकादशी के दिन शाम की पूजा के बाद तुलसी के आगे घी का दीपक जरूर जलाएं। तुलसी को प्रसन्‍न करने पर भगवान विष्‍णु स्‍वत: ही प्रसन्‍न हो जाते हैं।

एकादशी के दिन न करें ऐसा

एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन चावल खाने से व्‍यक्ति को अगले जन्‍म में रेंगने वाले जीव के रूप में जन्‍म मिलता है। इस दिन खाने में प्‍याज और लहसुन का प्रयोग न करें और पूरे दिन सात्विक आहार लें। इस दिन किसी से भी ऊंची आवाज में न बोलें और अपशब्‍द न कहें। इस दिन पति और पत्‍नी को भी ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और आपस में झगड़ा न करें।

एकादशी के दिन करें ये काम

एकादशी के पर्व पर दान करने का विशेष महत्‍व माना जाता है। इस दिन तिल और फलों का दान करना चाहिए। एकादशी पर गंगा स्‍नान का विशेष महत्‍व होता है। कोरोना के चलते ऐसा कर पाना संभव न हो तो घर पर ही नहाने के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्‍नान कर सकते हैं। अगर आपके विवाह में देरी हो रही है तो इस दिन केसर, केला, गुड़ और चने की दाल का दान करें। गाय को इस दिन हरा चारा जरूर खिलाना चाहिए।

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