रमजान और रोजे: रमजान में रात को ईशा की नमाज के बाद एक अतिरिक्त नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं। तरावीह में इमाम साहब कुरआन सुनाते हैं तथा शेष लोग चुपचाप इस किराअत को सुनते हैं।
रमजान और रोजे:
रमजान के महीने में ‘एतिकाफ’ भी एक महत्वपूर्ण इबादत है। ‘एतिकाफ’ से अभिप्राय है कि इंसान कुछ अवधि के लिए दुनिया के काम, हर प्रकार की व्यस्तता और रुचि से कट कर अपने आपको केवल अल्लाह के लिए वक्फ कर दे। अपना घर-बार छोड़ कर अल्लाह के घर जा बैठे और सारा समय उसकी याद में बसर करे। आमतौर पर रमजान के अंतिम दस दिनों में ‘एतिकाफ’ किया जाता है।
रमजान में दानशीलता का महत्व भी कई गुना बढ़ जाता है। रोजेदार का रोजा खुलवाना भी एक पुण्य का काम है। जो किसी रोजेदार को भरपेट खाना खिलाए तो अल्लाह तआला उसे अपने हौज से इतना तृप्त करेगा कि फिर उसे कभी प्यास न लगेगी, यहां तक कि वह जन्नत में दाखिल हो जाए।
इस प्रकार हम देखते हैं कि रमजान के रोजों को न केवल इबादत का प्रशिक्षण ठहराया गया है बल्कि उस महान मार्गदर्शन की नेमत पर अल्लाह तआला के प्रति कृतज्ञता भी ठहराया गया है जो कुरआन के रूप में उसने हमें प्रदान की है।
~ अकबर अहमद
रमजान में रोजा क्यों रखता है?
रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। सुबह की सेहरी के समय रोजे की शुरुआत की जाती है और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोल लिया जाता है। रमजान में शुद्धता का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।
रमजान के रोजे कितने होते हैं?
रमजान-ए-पाक महीना शुरू होने वाला है। मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना बेहद खास होता है। सभी लोग इस महीने में पूरे 30 दिन रोजे रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। आइए जानें रमजान के पहले रोजे की सही तारीख, सेहरी और इफ्तार का समय।
रोजा का महीना को क्या कहते हैं?
रमज़ान एक महत्वपूर्ण और पवित्र महीना है जो मुसलमान समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस माह को साल के नौवें महीने के रूप में माना जाता है, जैसा कि इस्लामिक कैलेंडर में उपलब्ध है। यह महीना रमज़ान का महीना होता है जिसमें मुसलमान समुदाय के लोग रोज़ा रखते हैं, जिसका मतलब है रोज़ाना रोज़ा रखना।
रमजान का दूसरा नाम क्या है?
इसे ईद-ए-सग़ीर या ईद-ए-सदक़ा भी कहते हैं। यह हिजरी सन् के दसवें महीने शव्वाल का पहला दिन होता है। जैसा कि आप जानते हैं कि इस्लामी वर्ष चांद देखने से शुरू होता है। रमज़ान के पूरे महीने लोग बहुत इबादत करते हैं।