मूसेम - खानाबदोशों का उत्सव - Tan-Tan Moussem Tribal Festival

मूसेम – खानाबदोशों का उत्सव – Tan-Tan Moussem Tribal Festival

रेगिस्तान में लगे इस विशाल शिविर के बीचों-बीच एक खाली स्थान में कई तरह के खेल व अन्य पारम्परिक कार्यक्रम आयोजन होते हैं। इनमें घोड़ों पर होने वाली रोमांचक दौड़ तथा पारम्परिक युद्ध कौशल का प्रदर्शन भी शामिल हैं।

मोरक्को के तान-तान नामक स्थान पर हर वर्ष विशाल सहारा रेगिस्तान के अलग-अलग स्थानों पर रहने वाले खानाबदोश एक विशेष उत्सव के लिए जमा होते हैं। ‘मुसेम’ नामक इस उत्सव के दौरान ये खानाबदोश अपने-अपने पारम्परिक तम्बुओं में रहते हैं। इलाके में इतने सारे तम्बू दिखाई देते हैं जैसे यह तम्बुओं का ही शहर हो।

इन तम्बुओं स्वामी खानाबदोश मोरक्को, अल्जीरिया, बुरकीना फासो, माली, मॉरीशस, नाईजर तथा सऊदी अरब से यहां पहुंचते हैं।

Tents-at-Tan-Tan-Moussem-Tribal-Festival

यूनैस्को इस उत्सव की सहयोगी है। संगठन को आशा है कि यह उत्सव इन खानाबदोशों को अपनी विलुप्त हो रही संस्कृति व परम्परा  संरक्षण में मदद करेगा।

तान-तान इलाका मोरक्को के दक्षिण में बसा एक रेगिस्तानी शहर है। यहां आयोजित इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए विभिन्न जनजातियों के खानाबदोश भी अपना ऊंटों का कारवां लेकर इस उत्सव में व्यापार करने के लिए आया है। एक छोटे ऊंट को यहां बेच कर वह लगभग 900 डालर कमा लेता है।

रेगिस्तान में लगे इस विशाल शिविर के बीचों-बीच एक खाली स्थान में कई तरह के खेल व अन्य पारम्परिक कार्यक्रम आयोजन होते हैं। इसमें घोड़ों पर होने वाली रोमांचक दौड़ तथा पारम्परिक युद्ध कौशल का प्रदर्शन भी शामिल हैं। ‘फाँटासिया’ नामक युद्ध कौशल के एक प्रदर्शन में करीब 10 घुड़सवार पास-पास तेजी से घोड़े दौड़ते हुए लड़ाई के लिए जोरों से यलगार लगाते हुए अपने-अपने हथियारों से हवा में गोलियां दागते हैं। ये बेरबेर जनजाति के खानाबदोशों का युद्ध कौशल है जिसका वे पूरे जोश से इस तरह प्रदर्शन करते हैं।

यह उत्सव हर वर्ष शेख मोहम्म्द लगदाफ नामक रेगिस्तानी हीरों की कब्र के करीब आयोजित किया जाता है। शेख मोहम्म्द ने फ्रांस तथा स्पेन से मोरक्को की आजादी के लिए 1960 में अपनी मौत  के वक्त तक लड़ाई लड़ी थी। खानाबदोशों ने उनका बहुत सम्मान हैं क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लम्बा संधर्ष किया था।

उनकी मौत के बाद  में तान-तान में उनकी कब्र एक धार्मिक स्थल बन गई जहां खानाबदोश गीत गाने, खेल आयोजनों में हिस्सा लेने किस्से-कहानियां सुनने-सुनाने तथा ऊंटों का व्यापार करने के लिए पहुंचने लगे।

परंतु ‘ग्रीन मार्च’ नामक सामूहिक विरोध ने 1975 में इस उत्सव को अचानक बंद कर दिया। तब साढ़े तीन लाख मोरक्को वासी तान-तान से सीमा पार पश्चिम सहारा तक गए थे क्योंकि तब वे स्पेन से उस इलाके को मोरक्को को सौंप देनी की मांग कर रहे थे।

बेशक उस वक्त स्पेन वाले पीछे हट गए परन्तु पश्चिम सहारा में अब तक इस इलाके पर आधिपत्य के लिए संघर्ष जारी है।

करीब 3 दशक के अंतराल के बाद ‘मूसेम’ उत्सव को वर्ष 2004 में फिर से शुरू किया गया जिसमें यूनैस्को ने विशेष मदद की। अब यह हर वर्ष मई या जून महीने में आयोजित किया जाता है।

उत्सव में खानाबदोशों की संस्कृति व परम्पराओं तथा उनके आपस में मेल-मिलाप  पर जोर होता था।

यहां चाकू बेचने वाला 29 वर्षीय इब्राहिम तान-तान के बड़ी संख्या में बेरोजगार पढ़े-लिखे युवकों में से एक है। उसके अनुसार तान-तान के 60 हजार निवासियों के पास आज भी सांस्कृतिक स्तर पर कुछ ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं। न वहां पुस्तकालय हैं, न थिएटर और न ही सिनेमा। उसके अनुसार तान-तान निवासियों के लिए तो यह उत्सव उस स्वादिष्ट व्यंजन जैसा है जिसे आप सूंघ तो सकते हैं लेकिन खा नहीं सकते।

इस उत्सव में भी चाय पीने की मोरक्को परम्परा हर तरफ दिखाई देती है। एक साथ मिल-बैठ कर  चाय पीना मोरक्को और खानाबदोशों की संस्कृति का भी एक अहम अंग है।

यहां चाय पीने के ढंग भी कुछ अनूठे हैं। केतली में से पहले गिलासों  डाली जाती है, फिर उसे वापस केतली में डालते हैं, ऐसे कई बार किया जाता है। इसके बाद उसे अंतत: मेहमानों को परोसा जाता है। दिलचस्प है कि मोरक्को  खानाबदोश जनजातियों करीब 40 साल तक लड़ाइयां लड़ीं जिसके बाद उन्होंने चाय पर हुई वार्ता के दौरान ही आपस शांति समझौते लिए थे।


Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …