Hindi Shayari

Hindi Shayari

डॉ. मंजरी शुक्ल की कलम से

इतनी इनायत कर दे खुदा
तुझे देखू तो वो नज़र आये
और उसे देखू तो
तेरी बंदगी कर लू

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मोहब्बत में चोट का मज़ा इतना हैं बस
उसके इंतज़ार के अलावा कोई काम नहीं…

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बड़े इंतज़ाम किये शानों शौक़त के
फ़क़त कुछ मुट्ठी राख थी सच्ची

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बात मत कर तू हमेशा सूरज चाँद सितारों की
महकते फूल और दहकते हुए अँगारों की
मुझे सजाना जगमगाती लौं, के अलंकार से
मिटाती हैं अँधियारा,जो घनेरी स्याह रात की

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तेरी याद को मेरे दिल,
के कोने में सिमटते देखा
मोहब्बत में तेरी खुद को
मैंने तन्हा ही मिटते देखा
हर साँस में की तुझको
भूलने की नाकाम कोशिश
और हर साँस में फिर
तुझे मुझमे बिखरते देखा…

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दिन के उजालें भी अब स्याह हो गए मेरे
जबसे ख़ामोश रातों का दुशाला ओढ़ लिया…

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फ़ासलें थे या किताबों में बंद किस्से
बढ़ें तो फिर सिमट ना सके कभी…

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ना मैं बर्बाद होता और ना तू होता तन्हा
मेरी मजबूरियों को गर नज़रों से पढ़ा होता…

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हमने जब भी मोहब्बत में चोट खाई हैं
पुरानी फ़िल्में बहुत याद आई हैं
जिन दर्द भरे नग्मों को भुला बैठा था
आज फिर उनकी कैसेट बजाई है

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2 comments

  1. beautiful shayari
    lovely colection
    thank you for sharing

  2. Excellent blog! Do you have any recommendations for aspiring writers?