बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। Indian Caste System की बुराइयों के बीच जन्मे बाबासाहेब ने बचपन से ही उपेक्षा और असमानता का आघात झेला। कोई आम आदमी इन आघातों से कमजोर पड़ जाता पर बाबासाहेब तो कुछ अलग ही मिट्टी के बने थे; इन आघातों ने उन्हें वज्र सा मजबूत बना दिया और अपनी असीम इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर उन्होंने एक आधुनिक भारत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया।
बाबासाहेब बी आर अम्बेडकर के बारे रोचक तथ्य
बाबासाहेब बी आर अम्बेडकर के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता की चौदहवीं और आखिरी संतान थे।
- डॉ. अंबेडकर के पूर्वज काफी समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी में एम्प्लोयेड थे और उनके पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में Mhow cantonment में तैनात थे।
- डॉ. अम्बेडकर का मूल या ओरिजिनल नाम था अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर, जो उन्हें बहुत मानते थे, ने स्कूल रिकार्ड्स में उनका नाम अम्बावाडेकर से अम्बेडकर कर दिया।
- बाबासाहेब मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दो साल तक प्रिंसिपल पद पर कार्यरत रहे।
- डॉ. बी. आर अम्बेडकर भारतीय संविधान की धारा 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है के खिलाफ थे।
- बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे।
- डॉ. अम्बेडकर बाद के सालों में डायबिटीज से बुरी तरह ग्रस्त थे।
- डॉ. अम्बेडकर ही एक मात्र भारतीय हैं जिनकी portrait लन्दन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
- इंडियन फ्लैग में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है।
- B. R. Ambedkar Labor Member of the Viceroy’s Executive Council के सदस्य थे और उन्ही की वजह से फैक्ट्रियों में कम से कम 12-14 घंटे काम करने का नियम बदल कर सिर्फ 8 घंटे कर दिया गया था।
- वो बाबासाहेब ही थे जिन्होंने महिला श्रमिकों के लिए सहायक Maternity Benefit for women Labor, Women Labor welfare fund, Women and Child, Labor Protection Act जैसे कानून बनाए।
- Economics का Nobel Prize जीत चुके अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन डॉ. बी आर अम्बेडकर को अर्थशाश्त्र में अपना पिता मानते हैं।
- बेहतर विकास के लिए 50 के दशक में ही बाबासाहेब ने मध्य प्रदेश और बिहार के विभाजन का प्रस्ताव रखा था, पर सन 2000 में जाकर ही इनका विभाजन कर छत्तीसगढ़ और झारखण्ड का गठन किया गया।