हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है, अंग्रेजी भाषा में ये बात देखने में नहीं आती|
क, ख, ग, घ, ङ – कंठव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है। एक बार बोल कर देखिये |
च, छ, ज, झ,ञ – तालव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है। एक बार बोल कर देखिये |
ट, ठ, ड, ढ , ण – मूर्धन्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। एक बार बोल कर देखिये |
त, थ, द, ध, न – दंतीय कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है। एक बार बोल कर देखिये|
प, फ, ब, भ, म – ओष्ठ्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये।
हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये।
इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी भाषा मे नही है
क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें….
क – क्लेश मत करो
ख- खराब मत करो
ग- गर्व ना करो
घ- घमण्ड मत करो
च- चिँता मत करो
छ- छल-कपट मत करो
ज- जवाबदारी निभाओ
झ- झूठ मत बोलो
ट- टिप्पणी मत करो
ठ- ठगो मत
ड- डरपोक मत बनो
ढ- ढोंग ना करो
त- तैश मे मत रहो
थ- थको मत
द- दिलदार बनो
ध- धोखा मत करो
न- नम्र बनो
प- पाप मत करो
फ- फालतू काम मत करो
ब- बिगाङ मत करो
भ- भावुक बनो
म- मधुर बनो
य- यशश्वी बनो
र- रोओ मत
ल- लोभ मत करो
व- वैर मत करो
श- शत्रुता मत करो
ष- षटकोण की तरह स्थिर रहो
स- सच बोलो
ह- हँसमुख रहो
क्ष- क्षमा करो
त्र- त्रास मत करो
ज्ञ- ज्ञानी बनो !
कृपया इस ज्ञान की जानकारी सभी को अग्र प्रेषित करें।