इंटरनेट के जरिए वर्तमान में दुनिया भर की हर तरह की मह्त्बपूर्ण जानकारियों को एक कमरे में रखे कंप्यूटर की स्क्रीन पर समेत कर ला देने वाला मूल मन्त्र WWW (World Wide Web) आज हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा रहे! दुनिया भर में मौजूद करोडो कम्प्यूटरों पर यही शब्द प्रतिदिन असंख्य बार टाइप किया जाता है लॉकिंग क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है की ‘WWW’ नामक इंटरनेट की मायावी दुनिया में प्रवेश कराने वाली यह खिड़की कब और कैसे अस्तित्व में आई?
करीब 24 वर्ष पहले ‘WWW’ नामक इस मायावी शब्द को जन्म दिया था Timothy John Berners-Lee ने! वर्तमान में वेबपेज से जुड़ने अथवा उसका निर्माण करने के लिए जो तरीके अपनाए जाते है उनके पीछे बर्नर्स का ही दिमाग है! 8 जून 1955 को लंदन में जन्मे बर्नर्स ली ने 1976 में ऑक्सफ़ोर्ड के क्वींस कॉलेज में गरदुएशन किया था और उसी दौरान मात्र 21 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने लिए एक छोटा सा कंप्यूटर सेट बना लिया था! बर्नर्स ली के दिमाग में 1980 में अचानक ही ‘कब और कैसे अस्तित्व में आया WWW’ से सम्बंधित शुरूआती विचात आया! उस दौरान वह एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहे थे! जब उन्होंने कंप्यूटर में मौजूद विभिन्न फाइलों को आपस में जोड़ने के लिए ‘ENQUIRE’ नामक एक प्रोग्राम तैयार किया था! वह कंप्यूटर पर मौजूद अपने दस्तावेजो और फाइलों को खोलने के लिए कुछ खास कोड नम्बरों का प्रयोग किया करते थे और उनका यह तरीका कंप्यूटर पर सफलतापूर्वक काम भी करता था किन्तु उन्होंने इससे भी आगे कुछ करने की ठनी थी!
दरअसल बर्नर्स ली एक ऐसा ग्लोबल प्रोजेक्ट बनाना चाहते थे जिसकी मदद से दुनिया के सभी कम्प्यूटरों को एक व्यापक सूचना तंत्र द्वारा जोड़ा जा सके और आखिर उन्हें अपने मकसद में कामयाबी भी हासिल हुई थी तथा वह इंटरनेट के जरिए दुनिया भर के लोगो को सूचनाओ के एक विस्तृत नेटवर्क से जोड़ पाने में सफल हो गए! इस तरह इंटरनेट पर ‘कब और कैसे अस्तित्व में आया WWW (World Wide Web) की शुरुआत 1991 में हुई! 1993 में इंटरनेट पर टैक्स के साथ-साथ पिक्चर्स व ग्राफ़िक्स का प्रसारण भी शुरू हो गया जिससे धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़नी शुरू हो गई और आज इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या दुनिया में करोड़ों में है! सबसे अहम बात तो यह रही की टिमोथी जे बर्नर्स ली ने WWW (World Wide Web) के माध्यम से इंटरनेट को लोकप्रिय बनाने का कार्य न तो किसी लालचवश किया और न ही इस अविष्कार के बाद उन्होंने इसका उपयोग अंधाधुंध पैसा कमाने के लिए किया! उन्होंने अपने इस महत्वपूर्ण आविष्कार का कोई पेटैंट कराने के बारे में भी कभी नहीं सोचा!