समुद्री सरहदों की रक्षक नौसेना

समुद्री सरहदों की रक्षक भारतीय नौसेना: भारतीय सशस्त्र बलों की समुद्री शाखा

समुद्री सरहदों की रक्षक भारतीय नौसेना: समुद्री सरहदों की रक्षा करने वाली भारतीय नौसेना दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर नौसेना है। भारतीय नौसेना का इतिहास गौरवशाली और सदियों पुराना है। माना जाता है कि इसका पहले-पहल गठन छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया था, हालांकि इसे आगे बढ़ाने का काम अंग्रेजों ने किया। तब से लेकर अब तक भारतीय नौसेना ने तमाम पड़ाव देखे हैं।

नौसेना की ताकत

भारतीय नौसेना में इस समय 67 हजार 252 सक्रिय और 75 हजार रिजर्व सैनिक हैं। वहीं 2 विमान वाहक जहाज भारतीय नौसेना के पास हैं।

नौसेना के बेड़े में करीब 150 समुद्री जहाज व पनडुब्बियां और करीब 300 हवाई जहाज भी हैं।

कई बार बदला नाम: समुद्री सरहदों की रक्षक भारतीय नौसेना

इतिहास पर नजर डालें तो ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 1612 में नौसेना का गठन किया। 1686 में इसका नाम ‘ईस्ट इंडिया मरीन’ से बदल कर ‘बॉम्बे मरीन’ कर दिया गया। 1830 में ‘बॉम्बे मरीन’ का नाम बदलकर ‘ब्रिटिश महारानी की भारतीय नौसेना’ किया गया। 1863 से 1877 तक फिर इसका नाम ‘बॉम्बे मरीन’ रहा। 1892 में इसे ‘रॉयल इंडियन नेवी’ का नाम दिया गया। आजादी के बाद, 1950 में इसका नाम बदल कर ‘भारतीय नौसेना‘ कर दिया गया।

वीर शिवाजी के जमाने से और अंग्रेजों के शासन तक भारत की नौसेना का योगदान पूरी दुनिया हमेशा याद करती है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी भारतीय नौसेना ने अहम योगदान दिया था।

बदला नौसेना का ध्वज: समुद्री सरहदों की रक्षक

गतवर्ष 2 सितम्बर को नौसेना का ध्वज बदला गया और भारतीय नौसेना को नई ‘पहचान मिली। नौसेना की यह नई पहचान ब्रिटिश राज के कड़वे अतीत से पहले आजाद भारत की समृद्ध विरासत की निशानियों को समेटे हुए हैं।

नौसेना के नए धवज में से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया। नए ध्वज में उसकी जगह तिरंगे और अशोक चिह ने ली। इसी दिन, देशके नएविमानवाहक युद्धपोत विक्रांत को भी नौसेना में शामिल किया गया था। यह पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है।

क्यों मनाया जाता है नौसेना दिवस?

आजादी के बाद 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया तो भारतीय नौसेना ने उसे करारा जवाब दिया था।

भारतीय नौसेना ने 4 और 5 दिसम्बर की रात हमले की योजना बनाते हुए अनेक ‘पाकिस्तानी समुद्री जहाजों को डुबोने के साथ ही सैंकड़ों पाकिस्तानी नौसैनिकों को मार गिराया था। इस अभियान में भारतीय नौसेना का नेतृत्व कमोडोर कासरगोड ‘पट्टणशेट्टी गोपाल राव ने किया था।

इसी युद्ध में विजय के जश्न के रूप में हर साल 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। हालांकि, नौसेना दिवस का आयोजन पहले अलग-अलग तारीखों को भी किया जाता रहा है।

नौसेना दिवस का इतिहास

  • सबसे पहले नौसेना दिवस 21 अक्तूबर 1944 को मनाया गया था। इसका मकसद लोगों में नौसेना के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।
  • 1945 से नेवी डे 1 दिसम्बर को मनाने की परम्परा शुरू हुई।
  • 1972 तक नौसेना दिवस 15 दिसम्बर को मनाया जाता रहा।
  • 1972 में ही तय हुआ कि हर साल नेवी डे 4 दिसम्बर को मनाया जाए। वहीं 1 से 7 दिसम्बर तक नौसेना सप्ताह का आयोजन किया जाता है।

भारतीय नौसेना का प्राचीन इतिहास

प्राचीन काल के भारतीयों का समुद्र से गहरा संबंध था, जिसका वर्णन हमें प्राचीन भारत के इतिहास और पुराणों में मिलता है। शिवाजी से पहले दक्षिण भारत में चोल और चालुक्य वंश के राजाओं के पास विश्व की सबसे शक्तिशाली नौसेना थी। इसका इतिहास में वर्णन मिलता है।

भारत में नौवहन की कला और नौवहन का जन्म 6,000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। ऋग्वेद में नौका द्वारा समुद्र पार करने के कई उल्लेख मिलते हैं। एक सौ नाविकों द्वारा बड़े जहाज को खेने का उल्लेख भी मिलता है।

अथर्ववेद में ऐसी नौकाओं का उल्लेख है जो सुरक्षित, विस्तारित तथा आरामदायक भी थीं। संस्कृत ग्रंथ ‘युक्तिकल्पत्रु’ में नौका निर्माण का ज्ञान है। इसी का चित्रण अजंता गुफाओं में भी है। इस ग्रंथ में नौका निर्माण की विस्तृत जानकारी मिलती है। जैसे, किस प्रकार को लकड़ी का प्रयोग किया जाए, उनका आकार और डिजाइन कैसा हो, उसको किस प्रकार सजाया जाए ताकि यात्रियों को अत्यधिक आराम मिले। इसमें जलवाहनों की वर्गीकृत श्रेणियां भी निर्धारित की गई हैं।

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