बार्बी नहीं डांसिंग डॉल… चाइनिज ड्रैगन को इंडियन टाइगर की पटखनी: भारतीय खिलौनों की दमदार दुनिया
भूलिए पावर रेंजर, डोरेमोन, शिनचैन को… और बार्बी तो कुछ भी नहीं… तैयार हो जाइए बच्चों को तंजावुर डॉल और दशावतार जैसे भारतीय खिलौने दिलाने के लिए।
भारत में आयातित खिलौनों में चीनी खिलौने शीर्ष पर हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अगस्त के मन की बात के अंक में कहा कि खिलौने ऐसे होने चाहिए जिनके रहते बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। ऐसे खिलौने बनाए जाएँ, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।
How Channapatna’s 200-year-old toy making craft is bouncing back from the edge of death
भारतीय खिलौने बनाम चाइनिज टॉयज
दरअसल हमारे देश में चीन से आयातित खिलौने प्लास्टिक या हानिकारक केमिकल से बने होते हैं। जिनकी क्वालिटी काफी खराब होती है। पिछले साल ही Quality Council of India की ओर से कराए गए टेस्टिंग सर्वे में खुलासा हुआ है कि चीन से मँगाए गए खिलौने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और वह सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते।
इन्हीं सारे घटनाक्रमों के बीच अभी कुछ ही दिनों पहले केंद्र सरकार ने देश का पहला टॉय फेयर यानी खिलौनों का मेला आयोजित किया। ये मेला 27 फरवरी से 2 मार्च तक चला। इस वर्ष Corona वायरस के चलते ये मेला virtually आयोजित किया गया।
इस वर्चुअल आयोजित मेले में 10 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन हुए। हमारे देश में भी कई ऐसे खिलौने हैं, जिनकी ब्रांडिंग और पोजिशनिंग करके उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई जा सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश में कुल 8 Toy Manufacturing Cluster का निर्माण हो रहा है। अभी योजना के अंतर्गत कर्नाटक और मध्य प्रदेश में 2 Toy Cluster बनाए गए हैं।
Kondapalli: The Toy Town – Every child’s dream, this place in Andhra Pradesh is for real. We explore the unique toy town of Kondapalli, famous for its unique wooden toys.
भारत में बनने वाले प्रसिद्ध और अनोखे खिलौने
- कोंडापल्ली के खिलौने (Kondapalli Toys): आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के कोंडापल्ली इलाके में यह खिलौने लगभग 400 सालों से बनाए जा रहे हैं। इन खिलौनों को बनाने वाले लोगों को आर्य क्षत्रिय कहते हैं। इन खिलौनों को भारत सरकार की ओर से जीआई टैग मिल चुका है। इन खिलौनों में दशावतारा और डांसिंग डॉल बहुत प्रसिद्ध है।
- नातुनग्राम के खिलौने (Natungram Toys): पश्चिम बंगाल के वर्दमान और कोलकाता में इन विशेष खिलौनों का निर्माण किया जाता है। इन खिलौनों में उल्लू बहुत पसंद किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन खिलौनों को घर में रखने से उन्नति होती है। इनमें से कुछ खिलौने बंगाल के भक्ति आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं।
- बत्तो बाई की गुड़िया (Batto Bai Dolls): यह गुड़िया मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में बनाई जाती है। इसे सरकार की ओर से जीआई टैग देने के लिए तैयारी चल रही है। यह गुड़िया आदिवासी हस्तकला की पहचान है। बत्तो बाई की गुड़िया के साथ यह मान्यता है कि इसे किसी कुँवारी लड़की को देने पर उसकी जल्दी शादी हो जाती है।
- तंजावुर की गुड़िया (Thanjavur Doll): तमिलनाडु के तंजावुर में बनाई जाने वाली इस गुड़िया की खास बात यह है कि यह अपनी मुंडी और कमर हिलाती है। इन खिलौनों को कुछ खास कारीगर तैयार करते हैं। यह दिखने में बहुत सुंदर होती है।
Natungram: The Village of Wooden Doll – Rural craft I
ऐसी कई खिलौने हमारे देश में मौजूद हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। देशवासियों ने जैसे Chinese सामानों का बहिष्कार किया है, वैसे ही Chinese Toys का भी बहिष्कार किया जाना चाहिए।
भारते के इन खिलौनों की बिक्री बढ़ने से देश में लघु उद्योग को ताकत मिलेगी। तो फिर भूलिए पावर रेंजर, डोरेमोन, शिनचैन को… और तैयार हो जाइए बच्चों को तंजावुर डॉल और दशावतार जैसे भारतीय खिलौने दिलाने के लिए।