रिदवान सुरूरी सफेद रंग के अपने घोड़े लूना पर पुस्तकें लाद कर लोगों तक पुस्तकें पहुंचाने का कार्य कर रहा है। हाल ही में वह पहाड़ी पर स्थित एक गांव में पहुंचा तो उसे देखते ही गांव में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी खुशी से झूम उठे।
यह सेरांग नाम का एक छोटा-सा गांव इंडोनेशिया के मुख्य टापू जावा पर स्थित है।
‘घोड़ा लाइब्रेरी‘ के आते ही बच्चे उसके पास पहुंच जाते है। घोड़े के दोनों तरफ हाथों से बनाए गए लकड़ी के दो बक्से लटके हुए हैं जिनमें किताबें भरी हैं। कई लोगों के लिए यह अनूठी मोबाइल लाइब्रेरी ही किताबों के साथ उनका एकमात्र सम्पर्क सूत्र है। यहां आसपास कोई पारम्परिक पुस्तकालय नहीं है तथा किताबों की दुकानें भी यहां से मिलों दूर स्थित शहरों में हैं।
43 वर्षीय रिदवान कई घोड़ों की देखभाल का काम करते हैं। लूना उनकी देखरेख में शामिल कई घोड़ों में से एक है। अपने एक मित्र द्वारा दान दी गई 100 किताबों को लूना पर लाद कर उन्होंने गत वर्ष इस लाइब्रेरी को एक प्रयोग के रूप में शुरू किया था।
तब तक उन्हें पता नहीं था कि उनकी इस लाइब्रेरी पर लोग किस तरह से प्रतिक्रिया करेंगे।
हालांकि, उनके इस अनूठे पुस्तकालय को सभी ने बहुत पसंद किया। कुछ ही समय में उनके पास स्कूलों और दूर-दराज के गांवों से आग्रह आने लगे कि वह उनके यहां अपनी घोड़ा पुस्तकालय लेकर पहुंचे।
रिदवान के अनुसार जहां भी वह जाते हैं, बच्चे पहले ही इंतजार कर रहे होते हैं और किताबें लेने के लिए लम्बी-लम्बी पंक्तियों में धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। उनका प्यारा घोड़ा भी बच्चों को आकर्षित करने में मदद करता है। प्रतीक्षा करते हुए बच्चे उसे सहलाना पसंद करते हैं।
हालांकि, बच्चों के अलावा बड़े भी उनकी इस लाइब्रेरी का पूरा लाभ उठा रहे हैं। 17 वर्षीय एक युवती कहती है कि यह घोड़ा पुस्तकालय स्थानीय महिलाओं के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद कर रही है। रिदवान ने सभी किताबों को अलग-अलग नम्बर दी रखे हैं और वह पूरा रिकॉर्ड रखता है कि सुनिश्चित बनाया जा सके कि लोग समय पर किताबें लौटाएं। किताबों लोगों को वह निःशुल्क उपलब्ध करवाते हैं जिन्हें पढ़ने के बाद वापस करना जरुरी है। यदि किसी ने पहले से किताब ले रखी हो तो उसे लौटाने के बाद ही नई किताब पढ़ने के लिए मिल सकती है।