जर्मनी के मैक्सीमिलियन मुएंच भी ऐसे ही एक युवा हैं। गत दिनों ही उन्होनें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक खूबसूरत स्थान से फोटो पोस्ट की। इसके लिए जर्मन राज्य सैक्सोनी ने उसे पैसे दिए थे।
दरअसल, यह एक प्रकार का विज्ञापन है जिसकी मदद से फिनलैंड से लेकर कनाडा तक पर्यटकों को अपने यहां आकर्षित कर रहे हैं। इसके तहत हजारों फॉलोअर्स वाले इंस्टाग्रामर्स को स्थानीय पर्यटन स्थलों की तस्वीरें पोस्ट करने के लिए पैसे दिए जाते हैं।
इंस्टाग्राम पर मैक्सीमिलियन के 3,17,000 फॉलोअर्स हैं और वह वर्ष 2014 से इंस्टाग्राम पर अपनी यात्राओं की फोटोज पोस्ट करके कमाई कर रहा है।
अब तक वह करीब 40 देशों की सैर कर चूका है जिनमें से ज्यादातर के लिए उसे उन स्थलों के स्थानीय प्रशासन ने पैसे दिए जहां वह गया था। उसका कहना है कि अपने अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट करने के लिए उसे अच्छी-खासी रकम मिलती है।
उसकी विशेषता खुले इलाकों की रंगों से भरी ऐसी फोटोज हैं जिनमें लोग महज ‘एक्स्ट्रा’ के रूप में दिखाई देते हैं। अपनी ऐसी फोटोज पर उसे हजारों ‘लाइक्स’ मिलते हैं और खूब सारे लोग उन पर ‘कमैंट्स’ भी करते हैं। इन ‘कमैंट्स’ में ही कई लोग उसे धन्यवाद करते हैं। इन ‘कमैंट्स’ में ही कई लोग उसे धन्यवाद करते हैं कि उसकी वजह से ही अब वे जानते हैं कि अगली छुटिटयां उन्हें कहां गुजारनी हैं।
टूरिस्ट बोर्ड वाले भी अब विज्ञापन जगत में सोशल मीडिया की ताकत से अच्छे से अवगत हैं। उदाहरण के लिए जर्मनी आने वाले 85 प्रतिशत पर्यटक यात्रा शुरू करने से पूर्व या उसके दौरान जानकारी के लिए इंटरनैट की मदद लेते हैं। चूंकि बड़ी संख्या में लोग विशेषकर युवा अब सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं तो ऐसे में इससे भी लोगों को कई तरह से प्रभावित करके जानकारी मुहैया करवाई जा सकती है। यह बात भी गौरतलब है कि सोशल मिडिया पर बड़ी संख्या में फॉलोअर्स वाले लोग युवाओं तक पहुंचने में मदद करते हैं, आमतौर पर अन्य साधनों से केवल उन्हें ही लक्ष्य करना सम्भव नहीं हो पाता है।
मैक्सीमिलियन को फॉलो करने वाले भी अधिकतर युवा ही हैं। एक ‘इंफ्लूएंसर’ यानी प्रभावित करने वाले व्यक्ति के रूप में उसकी पहुंच अच्छी है। इसका पता इसी बात से चलता है कि उसकी प्रोफाइल को प्रति सप्ताह 15 लाख क्लिक्स मिलती हैं।
विज्ञापन के लिए ऐसे लोगों का प्रयोग इसलिए भी अच्छा माना जा रहा है क्योंकि ये अपने फॉलोअर्स उन पर भरोसा करते हैं।
मैक्सीमिलियन के अनुसार उसके फॉलोअर्स इस बात की परवाह नहीं करते कि उसे उसकी पोस्ट्स के लिए पैसे दिए जा रहे हैं या नहीं। वह कहता है, “लोगों की कुछ अपेक्षाएं होती हैं और जब वे पूरी होती हैं तो वे इस बात ध्यान नहीं देते कि जो वे देख रहे हैं वह विज्ञापन है।”
हालांकि, जानकारों को यह चिंता भी है कि इस तरह के विज्ञापनों को नियंत्रित करने या इन पर नजर रखने का अभी कोई तंत्र नहीं है। कई सारे लोगों को पता नहीं होता कि वे जो देख रहे हैं वह वास्तव में विज्ञापन के रूप में पेश किया गया है।
उनका यह भी मानना है कि अभी काफी वक्त तक सोशल मीडिया पूरी तरह से विज्ञापन के अन्य साधनों का स्थान नहीं ले सकता है क्योंकि आज भी कई सारे वर्ग के लोगों तक पहुंचने के लिए प्रिंट मीडिया आवश्यक है, विशेषकर बुजुर्ग।