क्या है पोकेमॉन गो?
पोकेमॉन गो एक ऑगमेंटेड रिऐलिटी ऐप है। यह गेमिंग ऐप फोन के जीपीएस और कैमरे को इस्तेमाल करता है। इस गेम में प्लेयर्स को डिजिटल पोकेमॉन को असली दुनिया में घूमते हुए पकड़ना होता है।
90 के दशक में बेहद पॉप्युलर था पोकेमॉन
1990 में सतोशी ताजिरी ने पोकेमॉन का कॉन्सेप्ट पेश किया था। उन्हें दरअसल पतंगे पकड़ने का बहुत शौक था। वह गेम्स भी पसंद करते थे। ऐसे में उन्होंने दोनों चीजों को मिलाकर इस गेम का कॉन्सेप्ट पेश किया था। इसमें पोकेमॉन को पकड़ना होता था। संभव है आपने भी यह गेम खेला हो। ‘पोकेमॉन गो’ 90 के दशक में पॉप्युलर रहे इसी विडियो गेम का संस्करण है।
गेमप्ले
गेमप्ले आपकी भौगोलिक स्थिति के हिसाब से तय किया जाता है। इसके लिए यह ऐप गूगल मैप्स इस्तेमाल करता है। अगर आप किसी झील वगैरह के पास हैं तो आपको वॉटर पोकेमॉन ढूंढना होगा, अगर जंगल या पार्क में हैं तो ग्रास या बग टाइप का पोकेमॉन तलाश करना होगा।
प्लेयर पोकेमॉन नाम के वर्चुअल क्रीचर्स को पकड़ सकते हैं, ट्रेन कर सकते हैं और लड़ सकते हैं। यह वैसे तो फ्री गेम है, मगर कुछ अडिशनल आइटम्स के लिए इन-ऐप परचेजिंग की जा सकती है। गेम के दौरान आपको कुछ ऐसी जगहें भी चिह्नित मिलेंगी, जहां जाकर आप इन वर्चुअल क्रीचर्स को ट्रेन कर सकते हैं। पोकेमॉन को पकड़ने के लिए यूजर्स को उनपर लाल और सफेद रंग के पोके बॉल्स को छोड़ना होता है।
टूटे पॉप्युलैरिटी के रिकॉर्ड
यह गेम 5 जुलाई को लॉन्च हुआ था। कुछ अन्य पॉप्युलर ऐप्स से तुलना करते हुए इसकी पॉप्युलैरिटी इस तरह से पता लगाई जा सकती है कि पिछले 4 साल में जितने लोगों ने टिंडर डाउनलोड किया, उतने लोगों ने इसे सिर्फ एक हफ्ते में ही डाउनलोड कर लिया। इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप से भी ज्यादा वक्त लोग पोकेमॉन को पकड़ने में लगा रहे हैं। पूरी दुनिया में यह गेम धूम मचा रहा है। इस गेम्स के यूजर्स की संख्या उतनी ही होने जा रही है, जितने यूजर ट्विटर पर हैं।
गेम के हैं कई खतरे
इस गेम्स के कई खतरे भी हैं, मगर लोग इसके लिए दीवाने होते जा रहे हैं। लोग गेम्स खेलने में इतने मशगूल होते हैं कि उन्हें अपने आपसापस के माहौल का ध्यान नहीं रहता। संभव हो कि वे अचानक ट्रैफिक वाली सड़क पर चलने लग जाएं या किसी तालाब या गड्ढे वगैरह में गिर जाएं। खो जाने का खतरा भी है। बहुत से यूजर्स सनबर्न, डिहाइड्रेशन या किसी कीड़े वगैरह के भी शिकार हो सकते हैं।