निःस्वार्थ सेवा की सच्ची कहानी

निःस्वार्थ सेवा की सच्ची कहानी

यह अभियान एक निःस्वार्थ सेवा थी जिसके हीरो स्मृता के पिता राजिंदर सिंह आहलूवालिया थे। कुवैत से अचानक अपना सब कुछ छोड़ कर मुम्बई के सहारा हवाई अड्डे (अब छत्रपति शिवजी अंतरार्ष्ट्रीय हवाई अड्डा) पहुंच रहे भारतीयों के लिए वह कुछ करना चाहते थे। इस सेवा में पूरे परिवार ने साथ दिया।

1991 में कुवैत पर ईराकी हमले से वहां फंसे डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीयों को सुरक्षित निकालने की कहानी पर बनी फिल्म ‘एयरलिफ्ट‘ हाल में रिलीज हुई। फिल्म ने स्मृता कौर आहलूवालिया को उस निःस्वार्थ अभियान की याद दिला दी जिसे उनके पिता ने कुवैत से भारत पहुंचे थके-हारे भारतीयों की मदद के लिए शुरू किया था।

स्मृता उस घटनाक्रम को याद करते हुए बताती है:

आठ वर्ष की बच्ची अपने पिता का हाथ पकडें हवाई अड्डे पर पहुंची। तब उसे युद्ध का मतलब भी पता नहीं था। पिता ने उसे हवाई अड्डे के निकास पर चाय से भरे बड़े बर्तन के पास एक स्टूल पर बैठा दिया और उसे चाय पीने के लिए अाने वाले हर व्यक्ति को दो बिस्कुट देने को कहा। उस दिन उसका यही काम था। थोड़ी शर्म, थोड़े संकोच के साथ सारा दिन बच्चो ने अपने पिता के कहे अनुसार किया। वह अकेल नहीं थी। उसकी मां, बहने, दादी मां तथा दो पारिवारिक मित्र भी हवाई अड्डे पर लोगों की हर सम्भव मदद कर रहे थे।

कुवैत से लौट रहे अनजान लोगों के चेहरों पर दुख, भय, भूख तथा अपना सब कुछ खो देने से पैदा हताशा के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे। हालांकि खाली हाथ अपने देश पहुंचने के बाद एक नई शुरुआत करने की आस भी उनके मन में थी। इस बात से भी उन्हें संतोष था कि समय पर यदि न निकल पाते तो शायद कभी अपने वतन लौट पर अपनों से मिल न पाते।

Ahliwali-family-helping-Indian-immigrants

सेवा का पाठ

बच्ची के पिता इनकी मदद के लिए अपने पुरे परिवार के साथ जुट गए। एक कार्य से उन्होंने अपनी बच्चियों को जीवन का सबसे बड़ा पाठ पढ़ाया जिसने उन्हें निःस्वार्थ सेवा के सच्चे अर्थ से परिचित करवा दिया।

पिता ने हवाई अड्डे पर लंगर लगाने के लिए विशेष अनुमति ली। जल्द ही उन्हें अहसास हुआ कि केवल भोजन प्रदान करना ही काफी नहीं था लौटे कई लोग निरक्षर मजदूर थे जो इमिग्रेशन फार्म भी भर नही पा रहे थे। आहलूवालिया परिवार की महिलाएं उनकी मदद के लिए आगे आई और उनके फार्म भरे।

उनमें से कईयों के पास फोन बूथ से घर फोन करने के लिए एक रुपया तक नहीं था। दादी ने टेबल लगा कर एक रुपय के सिक्के उपलब्ध करवाए।

Check Also

Hindu Gods & Goddesses Coloring Pages

Hindu Gods And Goddesses Coloring Pages

Hindu Gods and Goddesses Coloring Pages: Hindu religion have millions of Gods & Goddesses, in …