मध्यप्रदेश में इन दिनों भाजपा सरकार को भर्ती घोटाला परेशान किए हुए है। इस घोटाले की आंच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह तक पहुंच चुकी है। इसे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इस घोटाले की जांच हाइकोर्ट के निर्देश पर एसटीएफ कर रही है।
इस घोटाले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इसमें साठगांठ कर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर भर्तियां की गई। इस घोटाले के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार कर रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी गईं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा इस घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं और केंद्रीय मंत्री और भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती का नाम भी इस घोटाले में सामने आ रहा है। इस पूरे घोटाले में 100 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है। कांग्रेस तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के इस घोटाले में शामिल होने के आरोप लगा रही है।
बताया जाता है कि मध्यप्रदेश के इस मामले में फंसे पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के साथ ही इस घोटाले में एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा था। मंत्री शर्मा का करीबी सुधीर शर्मा भी इस घोटाले में शामिल है। खनिज मंत्री रहते हुए लक्ष्मीकांत शर्मा ने सुधीर शर्मा को ओएसडी बनाया था।
खबरों के मुताबिक मेडिकल कॉलेजों में 514 मामले शक के घेरे में हैं। 1000 फर्जी भर्ती की बात तो खुद शिवराजसिंह चौहान विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं। इसके अलावा 2008 से 2010 के बीच सरकारी नौकरियों से जुड़ी 10 परीक्षाओं में धांधली के आरोप हैं।
मध्यप्रदेश में जब लक्ष्मीकांत शर्मा शिक्षा मंत्री थे तो उनके व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम आ गया। शर्मा ने ओपी शुक्ला को अपना ओएसडी तैनात किया जबकि उनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज थी। शर्मा के कहने पर शिक्षा विभाग में तैनात पंकज त्रिवेदी को व्यापम का कंट्रोलर बना दिया गया।
त्रिवेदी ने अपने करीबी नितिन महिंद्रा को व्यापम के ऑनलाइन विभाग का हेड यानी सिस्टम एनालिस्ट बनाया। मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के एडमिशन का सीधा जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्रालय के पास था। सरकारी नौकरियों में भर्ती की परीक्षाएं भी इसी विभाग के जरिए करवाई जाती थीं। यह भी आरोप हैं लक्ष्मीकांत शर्मा ने सत्ताबल का प्रयोग करते हुए दूसरी भर्तियों में भी दखल दिया।