व्यापम घोटाला - मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला

व्यापम घोटाला – मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला

इस घोटाले की जांच के दौरान छापेमारी में इंदौर के जगदीश सागर का नाम आया। 7 जुलाई, 2013 को इंदौर में पीएमटी की प्रवेश परीक्षा में कुछ छात्र फर्जी नाम पर परीक्षा देते पकड़े गए। छात्रों से पूछताछ के दौरान डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया। सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया।

ग्वालियर का रहने वाला जगदीश सागर पैसे लेकर फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की भर्ती करवाता था। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में धांधली कर जगदीश सागर ने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली थी। जगदीश सागर के यहां छापेमारी के दौरान गद्दों के भीतर 13 लाख की नकदी, कई प्रॉपर्टी और करीब 4 किलो सोने के गहने मिले थे।

जगदीश सागर से एसटीएफ की पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह इतना बड़ा नेटवर्क है जिसमें मंत्री से लेकर अधिकारी और दलालों का पूरा गिरोह काम कर रहा है। जांच और पूछताछ में यह सामने आया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम का ऑफिस इस काले धंधे का अहम अड्डा था।

जगदीश सागर से खुलासे में पता चला कि परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख, फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख और सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपए लेकर फर्जी तरीके से नौकरियां दी जा रही थीं। सागर भी मोटी रकम लेकर फर्जी तरीके से बड़े मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को एडमिशन दिलवा रहा था। जगदीश सागर की गवाही इस पूरे घोटाले में अहम साबित हुई।

इस पूरे मामले में फर्जी तरीके से एडमिशन लेने वाले छात्रों के साथ ही मंत्री से लेकर अधिकारियों तक, प्रिंसिपल, दलाल आदि की एक के बाद गिरफ्तारियां हो रही हैं।

इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री का पूर्व एसओडी भी जांच के घेरे में है। पीएमटी घोटाले में अरविन्दो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भण्डारी और व्यापम के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी की गिरफ्तारियां हुईं। पूर्व मंत्री ओपी शुक्ला को घोटाले के पैसों के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इस घोटाले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं के शामिल होने की भी खबरें हैं।

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