Maha Kumbh 2025: हर 12 साल में ही क्यों होता है महाकुंभ का आयोजन

Maha Kumbh 2025: हर 12 साल में ही क्यों होता है महाकुंभ का आयोजन

Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश में इन दिनों महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। यह 12 वर्षों में एक बार किया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर 12 वर्षों में ही क्यों महाकुंभ का आयोजन होता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

Maha Kumbh 2025: भारत विविधताओं का देश है। यहां की संस्कृति और परंपराएं इसे अन्य देशों से अलग बनाती हैं। बात जब यहां की संस्कृति की होती है, तो यहां के धार्मिक मेलो को भला कौन भूल सकता है। क्योंकि, भारत के धार्मिक मेले भारतीय परंपराओं और संस्कार को अगली पीढ़ियों तक ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

Maha Kumbh 2025: हर 12 साल में ही क्यों होता है

इन मेलों में कुंभ, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ जैसे बड़े और भव्य मेले भी शामिल हैं। इस बार 12 वर्षों में एक बार लगने वाला महाकुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में लग रहा है। हालांकि, यहां सवाल है कि आखिर क्या वजह है, जिससे इस मेले का आयोजन 12 वर्षों में ही किया जाता है। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।

कब से कब तक हो रहा है महाकुंभ का आयोजन

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा किनारे 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में बड़ी संख्या में साधु-संत व अन्य श्रद्धालुओं का आगमन होगा। ऐसे में मेले को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।

क्या है महाकुंभ मेले का महत्त्व

अब हम महाकुंभ मेले का महत्त्व जान लेते हैं। आपको बता दें कि महाकुंभ मेले का महत्त्व समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर मंथन हुआ था।

इस दौरान जब देवताओं के पास अमृत कलश पहुंचा, तो अमृत की चार बूंदे चार स्थान पर गिर गई थी, जिसमें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन शामिल है। ऐसे में इन चार जगहों पर हमें कुंभ मेले का आयोजन देखने को मिलता है। प्रत्येक 12 वर्षों में इन मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

हर 12 साल में क्यों लगता है महाकुंभ

अब सवाल है कि आखिर क्या वजह है, जिससे हर 12 साल में एक बार कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। दरअसल, इसके पीछे भी पौराणिक मान्यता है। मान्यताओं के मुताबिक, अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच कुल 12 दिनों तक युद्ध चला था। ऐसा माना जाता है कि ये 12 दिन मनुष्यों के लिए 12 वर्षों के बराबर हैं। ऐसे में हर 12 साल में एक बार अलग-अलग स्थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

आपको बता दें कि मेला क्षेत्र बड़ा होने और यहां अधिक भीड़ जुटने की आशंका को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मेला क्षेत्र को उत्तर प्रदेश का 76वां जिला घोषित किया गया है। हालांकि, यह जिला अस्थायी तौर पर रहेगा, जो कि सिर्फ मेले के आयोजन तक वैध है।

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